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जयपुर ने ‘राम रथ’ जैसी दूसरी यात्रा नहीं देखी, आडवाणी के स्वागत के लिए जयपुर के बाजार रहे थे बंद

locationजयपुरPublished: Aug 05, 2020 04:07:20 pm

Submitted by:

santosh

राम जन्म भूमि की लड़ाई का जयपुर भी बड़ा साक्षी रहा है। सितम्बर, 1990 में सोमनाथ से शुरु हुई लाल कृष्ण आडवाणी कर राम रथ यात्रा जब जयपुर पहुंची तो उसका एेसा स्वागत हुआ कि आज भी उस का जिक्र जयपुर के बुजुर्ग लोगों में होती है।

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
जयपुर। राम जन्म भूमि की लड़ाई का जयपुर भी बड़ा साक्षी रहा है। सितम्बर, 1990 में सोमनाथ से शुरु हुई लाल कृष्ण आडवाणी कर राम रथ यात्रा जब जयपुर पहुंची तो उसका एेसा स्वागत हुआ कि आज भी उस का जिक्र जयपुर के बुजुर्ग लोगों में होती है। त्रिपोलिया में स्वागत में इतने पलक पावड़े बिछाए गए कि जयपुर का हर एक नागरिक उसका साक्षी रहा। आडवाणी के स्वागत के लिए जयपुर के बाजार बंद रहे और सभी वर्ग उनका स्वागत करने पहुंचे। स्वागत में इतनी भीड़ थी कि वह स्वागत सभा में बदल गई। उस यात्रा के साक्षी रहे जयपुर के कई निवासी यह बताते हैं कि उस सभा में लाख से डेढ लाख लोग मौजूद थे।

लाल कृष्ण आडवाणी की इस यात्रा के बारे में एेसा कहा जाता है कि जयपुर में हुई सभा ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण और की एेतिहासिक आम सभा को भी पीछे छोड़ दिया। सती समर्थकों की हुई एक रैली, जिसे विशाल रैली के नाम से जाना जाता है, उसे भी पीछे छोड़ दिया गया। जयपुर में राम रथ यात्रा ने किशनगढ़ से भांकरोटा होते हुए प्रवेश की थी। अमरापुरा स्थान पर आडवाणी का भव्य स्वागत किया। इसके बाद वे संसार चंन्द्र रोड होते हुए चांदपोल गए और वहां से त्रिपोलिया पहुंचे। इस दौरान हर घर पर सैंकड़ों की भीड़ मौजूद थी और उनका जगह-जगह फूलों से स्वागत हुआ था। एेसा कहा जाता है कि त्रिपोलिया गेट से पे्रम प्रकाश सिनेमा तक दाएं और बाएं छोटी-बड़ी चौपड़ तक सिर ही सिर नजर आए रहे थे। उस पूरी सभा में मंदिर निर्माण के जोरदार नारे लगते रहे।
आडवाणी के स्वागत में गुलाबी नगरी में इतने स्वागत द्वार लगे थे कि उनकी गिनती भी नहीं की जा सकी थी। एेसी चर्चा है कि उस समय कई सौ गेट स्वागत के लिए बनाए गए थे। पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरों सिंह शेखावत भी उस सभा में मौजूद थे। उस समय सभा में शेखावत ने कहा था कि मंदिर बनकर रहेगा, कोई ताकत उसे नहीं रोक सकती। सभा के बाद आडवाणी रात को जयपुर में ही रुके थे और अगले दिन सुबह आमेर, अचरोल,मनोहरपुर, शाहपुरा और कोटपूतली होते हुए बहरोड़ पहुंचे। वहां देर रात को सभा हुई। इसके बाद वे हरियाणा में प्रवेश कर गए।

आडवाणी की जिस दिन जयपुर में सभा थी, उस दिन जयपुर के सभी व्यापारियों ने स्वत: ही बाजार बंद रखे थे और आडवाणी का जगह-जगह स्वागत किया गया था, उसमें शामिल हुए थे। एेसा कहा जाता है कि अक्सर बाजार अपनी मर्जी से कभी बंद नहीं रहे। कोई आंदोलन हुआ तो आंदोलनकर्ताओं ने ही बाजार बंद करवाए थे। पहला और आखिरी एेसा दिन था जब व्यापारियां ने स्वत: ही बाजार बंद रखे थे।

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