विश्वविद्यालय के विभागों व छात्रावासों का लोकल फंड होगा खाली,अब केन्द्रीयकरत होगा बजट
जयपुरPublished: Jul 11, 2018 12:27:27 pm
छात्रावासों व डिपार्टमेंट के फंड का उपयोग नहीं कर सकेंगे वार्डन व डिपार्टमेंट हैड
जयपुर
राजस्थान विश्वविद्यालय को विभागों व छात्रावासों को अब अलग अलग बजट नहीं मिलेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने बजट को अब केन्द्रीयकरत करने की कवायद शुरू कर दी है। जिससे अब विश्वविद्यालय में विभागों व छात्रावासों को अलग अलग फंड मिलना बंद हो जाएगा। नई कवायद के तहत सभी विभागाध्यक्ष व छात्रावासों के लिए वार्डन को मिलने वाले लोकल फंड का उपयोग भी वार्डन व डिपार्टमेंट हैड नहीं कर सकेंगे। अब बजट सिर्फ फाइनेंशियल आॅफिसर की स्वीकरति से ही पारित किया जाएगा। अब से पहले सभी विभागों व छात्रावासों को अलग अलग बजट दिया जाता था जिसमें डिपार्टमेंट हैड और वार्डन अपनी मर्जी से इस बजट को खर्च कर बिल पेश कर सकते थे। लेकिन अब डिपार्टमेंट हैड और वार्डन के हाथ में कोई भी फंड नहीं होगा। ऐसे में अब डिपार्टमेंट व हॉस्टल में कोई भी कार्य करवाने के लिए विभागाध्यक्ष और वार्डन को फाइनेंशियल आॅफिसर को संबंधित कार्य के लिए बताना होगा जिसके बाद कार्य करवाना फाइनेंशियल आॅफिसर के जिम्मे होगा।
रुकेंगे छोटे छोटे कार्य तो लगेगी फिजूल खर्ची व भ्रष्टाचार पर लगाम
राजस्थान विश्वविद्यालय के हर छात्रावास और विभागों के लिए अलग से लोकल फंड होता है। जिसमें उस विभाग व छात्रावास में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की फीस से मिलने वाली राशि से फंड का उपयोग वार्डन व विभागाध्यक्ष कर सकते थे और हॉस्टल,विभागों में इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य कार्य अपनी मर्जी से करवा सकते थे। लेकिन इस बजट में हेर फेर करने और भ्रष्टाचार को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन को कई बार शिकायत मिली थी। जिसके बाद प्रशासन ने बजट को केंद्रीयकरत करने का फैसला लिया है। वहीं अब विभागों व छात्रावासों में बजट नहीं होने से अब छोटे छोटे कार्य भी अटकेंगे। पहले बजट होने पर छात्रावास में लाइट नहीं होने पर,पानी की समस्या आने पर या वाटर कुलर या अन्य कोई भी लाख रूपए तक का उपकरण विभागाध्यक्ष,वार्डन अपनी मर्जी से खरीद कर बिल पेश कर देते थे। लेकिन अब वह अपनी मर्जी से ऐसा नहीं कर सकेंगें। अब अगर टयूबलाइट भी खराब हुई तो फाइनेंशियल आॅफिसर को ही बारे में बताकर लगवाना होगा। ऐसे में हर छोटे छोटे कार्य भी अटक जाएंगे।