परिवार के साथ मां से मिलने गई थी पाकिस्तान…
दरअसल, लीलाराम माली फरवरी माह में अपनी पत्नी जनता माली व तीन बच्चों के साथ पाकिस्तान के मीर खासपुर गया था। जनता माली मूलत: पाकिस्तान की है और शादी के बाद पिछले 10 साल से जोधपुर में रह रही है, लेकिन आज तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली। पाकिस्तान में जनता माली की मां की तबीयत खराब थी, जिसकी कुशलक्षेम पूछने के लिए पूरा परिवार गया था।
सरकारी अधिकारियों के पास लगा रहे चक्कर…..
इस बीच कोरोना के कारण भारत-पाक के बीच चलने वाली ट्रेन बंद हो गई। इससे अप्रेल माह में लीलाराम व उनके तीन बच्चों की वीजा अवधि समाप्त होने पर बढ़ा दी गई, लेकिन उनकी पत्नी जनता जो कि पाक नागरिकता हासिल थी को वीजा रिन्यू नहीं किया गया, इस कारण लीलाराम अपने 3 बच्चों को लेकर एक सप्ताह पहले हिंदुस्तान आ गए। अब सरकारी अधिकारियों के पास चक्कर लगाकर अपनी पत्नी को वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं।
इस बीच कोरोना के कारण भारत-पाक के बीच चलने वाली ट्रेन बंद हो गई। इससे अप्रेल माह में लीलाराम व उनके तीन बच्चों की वीजा अवधि समाप्त होने पर बढ़ा दी गई, लेकिन उनकी पत्नी जनता जो कि पाक नागरिकता हासिल थी को वीजा रिन्यू नहीं किया गया, इस कारण लीलाराम अपने 3 बच्चों को लेकर एक सप्ताह पहले हिंदुस्तान आ गए। अब सरकारी अधिकारियों के पास चक्कर लगाकर अपनी पत्नी को वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं।
पति और बच्चों को भेजा भारत….
लीलाराम व उनके तीन बच्चे जो कि भारतीय नागरिकता वाले हैं, जब पाकिस्तान गए तो तीन माह का रिटर्न वीजा दिया गया। जबकि उनकी पत्नी जनता को नोरी वीजा दिया गया। इसमें यदि तय अवधि में वह वापस नहीं आते हैं तो वीजा रिन्यू करने के लिए शुरू से पूरे प्रयास करने होते हैं। लॉकडाउन के कारण अप्रेल माह में यह परिवार हिंदुस्तान नहीं आ सका। इसलिए परिवार के तीन बच्चों व पति का वीजा को भारतीय दूतावास ने बढ़ा दिया। लेकिन पाक नागरिकता वाली जनता को वीजा देने से इनकार कर दिया।
मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए…
इस अतिसंवेदनशील मानवीय मुद्दे को भारत सरकार अपने पाक स्थित भारतीय दूतावास को उचित निर्देश देकर बिछड़े हुए परिवार को मिलाने की ओर कदम बढ़ाए। यह लॉकडाउन व परिस्थितियों के कारण वहां फंसे, इसमें इनको दोष नहीं है।
—हिंदू सिंह सोढ़ा, अध्यक्ष, सीमांत लोक संगठन
इस अतिसंवेदनशील मानवीय मुद्दे को भारत सरकार अपने पाक स्थित भारतीय दूतावास को उचित निर्देश देकर बिछड़े हुए परिवार को मिलाने की ओर कदम बढ़ाए। यह लॉकडाउन व परिस्थितियों के कारण वहां फंसे, इसमें इनको दोष नहीं है।
—हिंदू सिंह सोढ़ा, अध्यक्ष, सीमांत लोक संगठन