आपको बता दें कि इस साल मई जून से पाकिस्तान से टिड्डियों की घुसपैठ जारी है। पाकिस्तान सीमा से सटे राज्य के इलाकों में किसान टिड्डियों के आतंक से परेशान हैं। टिड्डियों को नियंत्रित करने के दावे पूरी तरह से सफल साबित नहीं हो पा रहे हैं। काफी स्थानों पर किसानों को टिड्डियों के नियंत्रण की प्रशासनिक सहायता तक नहीं मिल पाई है। किसान अपने ही स्तर पर तरह तरह के उपाय करके टिड्डियों को उड़ाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं लेकिन उन्हें खास कामयाबी नहीं मिल पा रही है।
कीटनाशक हो गया अवधिपार
मिली जानकारी के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान को टिड्डियों को खत्म करने के लिए कीटनाशक सप्लाई किया था लेकिन कीटनाशक एक्सपायर होने की वजह से उसका असर टिड्डियों पर नहीं पड़ा। अब इसका खामियाजा भारतीय किसान भुगत रहे हैं। पाकिस्तान टिड्डियों के नियंत्रण के किलए भारत के साथ 21 नवंबर को प्रस्तावित बैठक भी रद्द कर चुका है। इससे पहले भी पाकिस्तान ऐसा कर चुका है। जैसलमेर में सीमा पार से आई पाकिस्तानी टिड्डियों के आतंक से किसान ज्यादा परेशान हैं। खेत और आसमान में टिड्डियां ही टिड्डियां नजर आ रही हैं।
मानसून ने बढ़ाई परेशानी
आपको बता दें कि इस बार अच्छे मानसून से भी किसानों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इस बार विंटर सीजन में अफ्रीका की जगह टिड्डियों ने भारत-पाक बॉर्डर पर अंडे दे दिए हैं। मानसून अधिक समय तक रुकने से इस बार टिड्डी सर्दी में भी भारत-पाकिस्तान में रुक गई। जबकि यह विंटर ब्रीडिंग का समय है जो सामान्यत: अफ्रीकी देशों में होता है। अनुकूल मौसम पाकर टिड्डी ने भारत-पाक बॉर्डर पर पाकिस्तान की तरफ अण्डे दिए, जिसके कारण अब तक टिड्डी बनी हुई है।