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जयपुर

टिड्डी रेगिस्तान में केर और सांगरी को कर रहीं चट

पाकिस्तान से आ रहे टिड्डी दलों ( Locust ) का लगातार जैसलमेर सीमा से घुसकर भारतीय क्षेत्रों में हमला जारी हैं । टिड्डियां खासकर सीमांत रेगिस्तानी इलाकों ( Desert Area ) में खेजड़ी के पेड़ पर लगी सांगरी तथा केर के पेड़ों पर लगे केर को ( Kerr and Sangri ) चट कर रही ( Finishes up Kerr and Sangri ) है। ( Jaipur News )

जयपुरJun 06, 2020 / 01:17 am

sanjay kaushik

टिड्डी रेगिस्तान में केर और सांगरी को कर रहीं चट

टिड्डी रेगिस्तान में केर और सांगरी को कर रहीं चट

-केर-सांगरी के स्थानीय भाव करीब एक हजार रुपए किलो

-पाकिस्तान से लगातार आ रहे टिड्डी दल

-रेगिस्तानी वनस्पतियों को पहुंचा रही भारी नुकसान

जैसलमेर। पाकिस्तान से आ रहे टिड्डी दलों ( Locust ) का लगातार जैसलमेर सीमा से घुसकर भारतीय क्षेत्रों में हमला जारी हैं और वे रेगिस्तानी वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचा रही हैं। टिड्डियां खासकर सीमांत रेगिस्तानी इलाकों ( Desert Area ) में खेजड़ी के पेड़ पर लगी सांगरी तथा केर के पेड़ों पर लगे केर को ( Kerr and Sangri ) चट कर रही ( Finishes up Kerr and Sangri ) है। ( Jaipur News ) टिड्डियों के लगातार हमले से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।
-खेजड़ी के पेड़ों को कर डाला खोखला

देर रात जैसलमेर के शाहगढ़ बल्ज क्षेत्र के बछियाछोड़ भगनाउ इलाके से 25 से 30 किलोमीटर लंबा टिड्डियों का झुंड भारतीय सीमा में घुस आया जो कि आगे की तरफ बढ़ता गया। इससे पर्यावरण पर जबरदस्त बुरा असर पड़ रहा है वहीं खेजड़ी तथा अन्य रेगिस्तानी प्रजातियों के पेड़ों को खोखला किया जा रहा हैं। इन टिड्डियों ने कई खेजड़ी के पेड़ों को पूरी तरह चट कर दिया एवं उसमें लगी हुई सांगरी वेजीटेबल का पूरी तरह सफाया कर दिया।
-देश-विदेश में केर सांगरी की बेहद मांग

गौरतलब है कि देश-विदेश में केर सांगरी की बेहद मांग है और जैसलमेर में तो इसका भाव करीब एक हजार रुपए किलोग्राम है। टिड्डियों के झुंड के जैसलमेर एवं जोधपुर के कई इलाकों में हमला करने के बाद उन्हें नष्ट करने के लिए टिड्डी नियंत्रण विभाग एवं कृषि विभाग की ओर से संयुक्त कार्रवाई कई स्थानों पर शुरू की गई है।
-पर्यावरण को नुकसान भी बड़ी चिंता

करीब एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर पांच फायर ब्रिगेड एवं छह स्प्रेयर वाहनों व कुछ ट्रेक्टरों को मिलाकर करीब 14 संसाधनों से इन टिड्डियों को नष्ट किया जा रहा है। गुरु गोबिंद ङ्क्षसह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एवं वैज्ञानिक सलाहकार (मानद) ईआरडीएस फाउंडेशन डॉ. सुमित डूकिया ने बताया कि असल में सीमा पार से आई बड़ी संख्या में करोड़ो टिड्डियों से सबसे बड़ी चिंता इन टिड्डियों के कारण पर्यावरण को नुकसान होने की जानकारी मिल रही है।
-कई प्रजातियों के पेड़ खोखले…चारागाह की घास भी नहीं छोड़ी

बड़ी संख्या में खेजड़ी, नीम, देशी बबूल तथा अन्य कई डेजर्ट प्रजातियों के पेड़ों को खोखला करने की जानकारी मिली है। खासकर खेजड़ी के पेड़ों पर लगी हुई प्रसिद्ध डेजर्ट वनस्पति सांगरी को भी नष्ट किया जा रहा है, सांगरी के देश विदेश में बेहद मांग बनी है। पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पेमानी ने बताया सीमा पार से आ रही जबरदस्त टीडियो के समूह ने डेजर्ट प्रजाति की वनस्पतियों को काफी नुकसान पहुंचाया है क्योंकि खेतो में फसले उगी नहीं हैं, इस कारण टिड्डियों ने जंगलों में कई पेड़ पौधों को नष्ट कर दिया है। केर सांगरी के पेड़ों को खोखला किया जा रहा है, वही पशुओं के चारागाह में उगी घास को भी इन टिड्डियों ने नहीं छोड़ा।
-नष्ट करने के लिए छेड़ा अभियान

उधर, टिड्डी नियंत्रण विभाग के अधिकारी डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि जैसलमेर के कई इलाकों में टिड्डियों की ओर से धावा बोलने के बाद यह अलग-अलग कई स्थानो पर बैठ गई, जिनकी तलाश कर इनको नष्ट करने का अभियान छेड़ा गया है। जैसलमेर के कई इलाकों में इन टिड्डियों को नष्ट किया। इसी तरह जैसलमेर के पोकरण, जोधा, साढिय़ा तथा अन्य छोटे मोटे गांवो में इन टिड्डियों को नष्ट किया। छह वाहनो, पांच फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों एवं तीन ट्रेक्टरों के जरिए इन्हें नष्ट किया जा रहा है। पिछले कई दिनो से टिड्डी नियंत्रण विभाग की ओर से सीमा पार से आई इन टिड्डियों को नष्ट किया जा रहा हैं।

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