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टिड्डी दल ने फिर बरपाया कहर

locationजयपुरPublished: Nov 11, 2019 04:02:57 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

टिड्डी दल ने फिर बरपाया कहरकिसानों की फसलें चट कर गया टिड्डी दलखड़ी फसलों के साथ बुवाई की गई फसलों को भी नुकसानकिसानों का निवाला छिना

टिड्डी दल ने फिर बरपाया कहर

टिड्डी दल ने फिर बरपाया कहर

जैसलमेर ( Jasilmer ) के नोख ( Nokh ) क्षेत्र में रविवार शाम आज सुबह टिड्डीदल ( Tiddi dal ) एक बार फिर किसानों पर कहर बरपाते हुए उनकी फसलें नष्ट ( Crops Destroyed ) कर दी। आपको बता दें कि नोख क्षेत्र में इस वर्ष टिड्डी दल और फाका दल के पड़ाव के बाद लगातार खेतों में खड़ी फसलों,वनस्पति और घास को नुकसान हो रहा है। किसानों के अनुसार इस सप्ताह फिर से टिड्डी दल ने खेतों में पड़ाव डालकर खड़ी फसलों को जमकर नुकसान किया है, साथ ही हाल ही में बुवाई की गई फसलों को भी जमीन से निकलते ही चट करना शुरू कर दिया है। ऐसे में क्षेत्र में किसानों के लिए टिड्डी दल आफत का कारण बना हुआ है, लेकिन बावजूद इसके प्रशासन इस और उदासीन बना हुआ है। किसानों के अनुसार रविवार शाम और सोमवार सुबह नोख क्षेत्र के पठानलका सहित आसपास के संपूर्ण क्षेत्र में टिड्डी दल अनगिनत संख्या में पड़ाव डाल कर फसलों को चट कर गया । गौरतलब है कि गत करीब ढाई महीने से टिड्डी दल इस क्षेत्र में अपना पड़ाव डाल रहा है जिससे खेतों में काफी नुकसान हो चुका है। इसके बाद से ही किसानों ने अपने स्तर पर भी इससे निपटने के प्रयास किए जिसके कारण किसानों की थोड़ी बहुत फसल बच सकी थी लेकिन अब उसे भी टिड्डी दल ने चट करना शुरू कर दिया है। ऐसे में किसानों के मुंह आया निवाला छीन रहा है। किसानों का कहना है कि न केवल खड़ी फसल बल्कि तारामीरा की फसल बोने वाले किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि जैसे ही फसल जमीन से निकलती है टिड्डी दल उसे भी नष्ट कर देता है। आपको बता दें कि क्षेत्र में खेतों में खड़ी ग्वार की फसल को टिड्डी दल ने नष्ट कर दिया।
एक टिड्डी दल में लाखों की संख्या
एक टिड्डी दल में लाखों की संख्या में टिड्डियां होती हैं और जहां भी यह दल पड़ाव डालता है वहां फसलों तथा अन्य वनस्पतियों को चट करता हुआ चला जाता है। टिड्डी हमला राजस्थान के इन सीमावर्ती जिलों में हर साल होता है, लेकिन इसका असर कम ज्यादा होता रहता है। इस साल राज्य के चार जिलों में 1 लाख 38 हजार 585 हेक्टेयर जमीन पर अब तक 96 हजार 748 लीटर दवा छिड़की जा चुकी है फिर भी किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही।
इस बार पहला टिड्डी दल मई के आखिरी सप्ताह में देखा गया था। उसके बाद कृषि विभाग ने रात.दिन अभियान चलाकर दवा छिड़की और इसका असर कम होता दिखा, लेकिन एक बार फिर टिड्डी दल के आने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
अब तक १५ बार आक्रमण कर चुका है टिड्डी दल
इससे पहले जुलाई अक्तूबर 1993 में टिड्डी दलों ने राजस्थान में बड़ा हमला किया था और हजारों हेक्टेयर में फसल तथा वनस्पति को बर्बाद कर दिया था। इसके बाद वर्ष 1998 में टिड्डी दल ने राजस्थान में बड़ा नुकसान पहुंचाया था। जब भारत पर टिड्डी का आक्रमण किया है। तब तब भारत के अंदर अकाल पड़ा है। अब तक भारत के अंदर टिड्डी ने 15 बार आक्रमण कर चुके हैं।
टिड्डियों के दलों के खेत पर आक्रमण करने से खेत को भारी नुकसान होता है। समझो खेत के अंदर कुछ नहीं बचता है। एक कीट अपने वजन के बराबर फसल खा जाता है। इसका वजन 2 ग्राम होता है।
‌‌‌एक छोटे से टिड्डी दल का हिस्सा एक दिन मे उतनी खाध्य सामग्री खा जाते हैं जितनी कोई 3000 हजार इंसान खा सकते हैं, लेकिन इसकी उम्र कोई ज्यादा नहीं होती है। यह 4 से 5 महीने ही जीवित रह पाते हैं।
‌‌‌इन कीड़ों की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह हवा के अंदर 150 किलोमिटर एक सांस में उड़ सकते हैं और हिंद महासागर को पार करने के लिए इनको 300 किलोमीटर की दूरी पार करनी होती है।

टिड्डी का इतिहास
1422 ई से 1411 ईसा पूर्व होरेमबए प्राचीन मिस्र के कब्र.कक्ष में टिड्डी का उल्लेख मिलता है।
इतिहास के अंदर टिड्डियों का उल्लेख मिलता है। जो हवा की दिशा के अंदर और मौसम बदलने से अचानक पहुंच गए और विनाश किया ।
प्राचीन मिस्रियों ने 2470 से 2220 ईसा पूर्व की अवधि में कब्रों पर टिड्डों की नक्काशी की थी
इलियड ने आग से बचने के लिए विंग में ले जाने वाले टिड्डों का उल्लेख किया है
कुरान में टिड्डियों के स्थानों का भी उल्लेख किया गया है
नौवीं शताब्दी ईसा पूर्व में, चीनी अधिकारियों ने टिड्डे विरोधी अधिकारियों को नियुक्त किया ‌‌‌गया था
अरस्तु ने टिड्डी के प्रजनन और उसकी आदतों का उल्लेख किया था
लिवी ने 203 ईसा पूर्व टिडडी से होने वाली बीमारियों का उल्लेख किया है
311 ईस्वी के अंदर चीन के अंदर फैली एक महामारी से 98 प्रतिशत लोग मरे थे, इसमें टिड्डी को दोषी माना था

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