एक टिड्डी दल में लाखों की संख्या
एक टिड्डी दल में लाखों की संख्या में टिड्डियां होती हैं और जहां भी यह दल पड़ाव डालता है वहां फसलों तथा अन्य वनस्पतियों को चट करता हुआ चला जाता है। टिड्डी हमला राजस्थान के इन सीमावर्ती जिलों में हर साल होता है, लेकिन इसका असर कम ज्यादा होता रहता है। इस साल राज्य के चार जिलों में 1 लाख 38 हजार 585 हेक्टेयर जमीन पर अब तक 96 हजार 748 लीटर दवा छिड़की जा चुकी है फिर भी किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही।
इस बार पहला टिड्डी दल मई के आखिरी सप्ताह में देखा गया था। उसके बाद कृषि विभाग ने रात.दिन अभियान चलाकर दवा छिड़की और इसका असर कम होता दिखा, लेकिन एक बार फिर टिड्डी दल के आने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
अब तक १५ बार आक्रमण कर चुका है टिड्डी दल
इससे पहले जुलाई अक्तूबर 1993 में टिड्डी दलों ने राजस्थान में बड़ा हमला किया था और हजारों हेक्टेयर में फसल तथा वनस्पति को बर्बाद कर दिया था। इसके बाद वर्ष 1998 में टिड्डी दल ने राजस्थान में बड़ा नुकसान पहुंचाया था। जब भारत पर टिड्डी का आक्रमण किया है। तब तब भारत के अंदर अकाल पड़ा है। अब तक भारत के अंदर टिड्डी ने 15 बार आक्रमण कर चुके हैं।
एक टिड्डी दल में लाखों की संख्या में टिड्डियां होती हैं और जहां भी यह दल पड़ाव डालता है वहां फसलों तथा अन्य वनस्पतियों को चट करता हुआ चला जाता है। टिड्डी हमला राजस्थान के इन सीमावर्ती जिलों में हर साल होता है, लेकिन इसका असर कम ज्यादा होता रहता है। इस साल राज्य के चार जिलों में 1 लाख 38 हजार 585 हेक्टेयर जमीन पर अब तक 96 हजार 748 लीटर दवा छिड़की जा चुकी है फिर भी किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही।
इस बार पहला टिड्डी दल मई के आखिरी सप्ताह में देखा गया था। उसके बाद कृषि विभाग ने रात.दिन अभियान चलाकर दवा छिड़की और इसका असर कम होता दिखा, लेकिन एक बार फिर टिड्डी दल के आने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
अब तक १५ बार आक्रमण कर चुका है टिड्डी दल
इससे पहले जुलाई अक्तूबर 1993 में टिड्डी दलों ने राजस्थान में बड़ा हमला किया था और हजारों हेक्टेयर में फसल तथा वनस्पति को बर्बाद कर दिया था। इसके बाद वर्ष 1998 में टिड्डी दल ने राजस्थान में बड़ा नुकसान पहुंचाया था। जब भारत पर टिड्डी का आक्रमण किया है। तब तब भारत के अंदर अकाल पड़ा है। अब तक भारत के अंदर टिड्डी ने 15 बार आक्रमण कर चुके हैं।
टिड्डियों के दलों के खेत पर आक्रमण करने से खेत को भारी नुकसान होता है। समझो खेत के अंदर कुछ नहीं बचता है। एक कीट अपने वजन के बराबर फसल खा जाता है। इसका वजन 2 ग्राम होता है।
एक छोटे से टिड्डी दल का हिस्सा एक दिन मे उतनी खाध्य सामग्री खा जाते हैं जितनी कोई 3000 हजार इंसान खा सकते हैं, लेकिन इसकी उम्र कोई ज्यादा नहीं होती है। यह 4 से 5 महीने ही जीवित रह पाते हैं।
इन कीड़ों की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह हवा के अंदर 150 किलोमिटर एक सांस में उड़ सकते हैं और हिंद महासागर को पार करने के लिए इनको 300 किलोमीटर की दूरी पार करनी होती है।
एक छोटे से टिड्डी दल का हिस्सा एक दिन मे उतनी खाध्य सामग्री खा जाते हैं जितनी कोई 3000 हजार इंसान खा सकते हैं, लेकिन इसकी उम्र कोई ज्यादा नहीं होती है। यह 4 से 5 महीने ही जीवित रह पाते हैं।
इन कीड़ों की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह हवा के अंदर 150 किलोमिटर एक सांस में उड़ सकते हैं और हिंद महासागर को पार करने के लिए इनको 300 किलोमीटर की दूरी पार करनी होती है।
टिड्डी का इतिहास
1422 ई से 1411 ईसा पूर्व होरेमबए प्राचीन मिस्र के कब्र.कक्ष में टिड्डी का उल्लेख मिलता है।
इतिहास के अंदर टिड्डियों का उल्लेख मिलता है। जो हवा की दिशा के अंदर और मौसम बदलने से अचानक पहुंच गए और विनाश किया ।
प्राचीन मिस्रियों ने 2470 से 2220 ईसा पूर्व की अवधि में कब्रों पर टिड्डों की नक्काशी की थी
इलियड ने आग से बचने के लिए विंग में ले जाने वाले टिड्डों का उल्लेख किया है
कुरान में टिड्डियों के स्थानों का भी उल्लेख किया गया है
नौवीं शताब्दी ईसा पूर्व में, चीनी अधिकारियों ने टिड्डे विरोधी अधिकारियों को नियुक्त किया गया था
अरस्तु ने टिड्डी के प्रजनन और उसकी आदतों का उल्लेख किया था
लिवी ने 203 ईसा पूर्व टिडडी से होने वाली बीमारियों का उल्लेख किया है
311 ईस्वी के अंदर चीन के अंदर फैली एक महामारी से 98 प्रतिशत लोग मरे थे, इसमें टिड्डी को दोषी माना था