राजे के चुनाव लडऩे पर भी हो सकती है चर्चा
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में बैठकों के दौरान राजे के चुनाव लडऩे पर भी चर्चा होगी। पार्टी एक-एक लोकसभा सीट को लेकर काम कर रही है और जिताऊ को मैदान में उतारना चाहती है। पार्टी राजे को झालावाड़ से चुनाव लड़वाना चाहती है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि वह चुनाव नहीं लडऩा चाहतीं, इस बारे में पार्टी आलाकमान को अवगत भी करा चुकी हैं।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में बैठकों के दौरान राजे के चुनाव लडऩे पर भी चर्चा होगी। पार्टी एक-एक लोकसभा सीट को लेकर काम कर रही है और जिताऊ को मैदान में उतारना चाहती है। पार्टी राजे को झालावाड़ से चुनाव लड़वाना चाहती है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि वह चुनाव नहीं लडऩा चाहतीं, इस बारे में पार्टी आलाकमान को अवगत भी करा चुकी हैं।
पूर्व मंत्री ने दिया था बड़ा बयान
राजे चुनाव लड़ेंगी या नहीं इसपर अभी फिलहाल खुद राजे की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वहीं इस मसले पर अन्य नेता भी मीडिया को जवाब देने से बच रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने बड़ा बयान दिया।
राजे चुनाव लड़ेंगी या नहीं इसपर अभी फिलहाल खुद राजे की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वहीं इस मसले पर अन्य नेता भी मीडिया को जवाब देने से बच रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने बड़ा बयान दिया।
सराफ ने कहा कि वसुंधरा राजे के पक्ष में 90 प्रतिशत विधायक हैं और अगली बार भाजपा बहुमत में आई तो वे ही मुख्यमंत्री होंगी। भाजपा प्रदेश कार्यालय में सराफ ने पत्रकारों से कहा कि वसुंधरा के अनुभवों का लाभ लेने के लिए उनको दिल्ली भेजा गया है। वे राजस्थान में ही सक्रिय रहेंगी।
वहीं सूत्रों की माने तो राजे के साथ ही छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी भाजपा केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने और राज्य में ही रहकर काम करने की मंशा जताई है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर है बड़ी ज़िम्मेदारी
बीते विधानसभा चुनाव में सत्ता खोने के बाद भी पार्टी ने राजे पर भरोसा कायम रखा और उन्हें केंद्रीय नेतृत्व में शामिल कर लिया। उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की बड़ी ज़िम्मेदारी देते हुए चार राज्यों में प्रचार अभियान की कमान सौंपी गई है। राजे को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार अभियान का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी तय की गई है। इस बड़ी ज़िम्मेदारी को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि राजे इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी।
बीते विधानसभा चुनाव में सत्ता खोने के बाद भी पार्टी ने राजे पर भरोसा कायम रखा और उन्हें केंद्रीय नेतृत्व में शामिल कर लिया। उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की बड़ी ज़िम्मेदारी देते हुए चार राज्यों में प्रचार अभियान की कमान सौंपी गई है। राजे को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार अभियान का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी तय की गई है। इस बड़ी ज़िम्मेदारी को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि राजे इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी।
ये दिग्गज भी रहेंगें राजे के साथ
चार राज्यों में प्रचार अभियान की कमान संभालने के दौरान राजे के साथ दिग्गज नेता भी मौजूद रहेंगें। जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में वसंधरा के साथ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी मौजूद रहेंगें। इसी तरह से पश्चिम बंगाल में उनके साथ अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृह मंत्री राजनाथ सिंह रहेंगें।
वहीं त्रिपुरा में राजे के साथ अमित शाह और योगी आदित्यनाथ प्रवास पर रहेंगे जबकि उत्तर प्रदेश में अमित शाह, मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, नितिन गड़करी, त्रिवेंद्र सिंह और मनोहर लाल खट्टर को प्रवास की जिम्मेदारी दी गई है।
दिल्ली में चलेगा बैठकों का दौर
प्रदेश में भाजपा के लोकसभा प्रत्याशियों को लेकर दिल्ली में जल्दी ही बैठकों का दौर शुरू होगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में प्रदेश चुनाव प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से एक-दो दिन में राजे की मुलाकात होनी है। प्रदेश के कुछ बड़े नेता भी मौजूद रह सकते हैं। हालांकि बैठकों का कार्यक्रम तय नहीं हुआ है लेकिन पार्टी की मंशा है कि प्रत्याशियों पर चर्चा शीघ्र शुरू हो जाए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने स्तर पर कई सर्वे करा चुके हैं, प्रदेश में नेताओं-कार्यकर्ताओं से लोकसभा वार रायशुमारी भी हो चुकी है। इसमें सामने आए नाम दिल्ली भेजे जा चुके हैं। इन नामों को लेकर भी प्रदेश में सर्वे कराया जा चुका है।
ट्रेंड तोडऩा चाहती है भाजपा
भाजपा चाहती है कि कई चुनावों से चला आ रहा वह ट्रेंड इस बार टूटे, जिसमें माना जाता है कि प्रदेश में जिसकी सरकार होती है लोकसभा चुनाव में उसी पार्टी के प्रत्याशी ज्यादा जीतते हैं।
भाजपा चाहती है कि कई चुनावों से चला आ रहा वह ट्रेंड इस बार टूटे, जिसमें माना जाता है कि प्रदेश में जिसकी सरकार होती है लोकसभा चुनाव में उसी पार्टी के प्रत्याशी ज्यादा जीतते हैं।