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राजस्थान इन सीटों पर लगी हैं संघ की प्रतिष्ठा दांव पर, यहां जमकर बहाया है पसीना

locationजयपुरPublished: May 18, 2019 10:10:18 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

लोकसभा चुनाव में यों तो दोनों ही प्रमुख दलों ने हर सीट पर पूरी ताकत झोंकी है लेकिन राज्य में 8 संसदीय क्षेत्र ऐसे हैं जहां इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने खास मेहनत की है।

hanuman beniwal gajendra singh shekhawat
जयपुर। लोकसभा चुनाव में यों तो दोनों ही प्रमुख दलों ने हर सीट पर पूरी ताकत झोंकी है लेकिन राज्य में 8 संसदीय क्षेत्र ऐसे हैं जहां इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने खास मेहनत की है। बाड़मेर, नागौर व जोधपुर सहित इन सीटों पर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा के साथ संघ का पसीना भी दांव पर है।

ये हैं वे सीटें जहां संघ ने की मेहनत
बाड़मेर, नागौर, अजमेर, राजसमंद, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़।


इन तीन सीटों पर खास नजर
बाड़मेर व नागौर सीट पर भाजपा में प्रत्याशी चयन और भाजपा-रालोपा के गठबंधन में संघ का बड़ा योगदान रहा है। इसके बाद संघ का सबसे ज्यादा जोर जोधपुर पर रहा। यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के सामने केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत चुनाव लड़ रहे थे। पार्टी आलाकमान नहीं चाहता था कि कोई भी मंत्री चुनाव हारे। गहलोत जैसे राजनीतिज्ञ से पार पाने के लिए भाजपा ने संघ का सहयोग लिया। संघ ने इन सीटों पर रणनीतिक रूप से काम किया और एक-एक बूथ से वोटर को निकालने में बड़ी भूमिका निभाई। उनका मुख्य रूप से जोर उस कार्यकर्ता पर था, जो चुनाव में निष्क्रिय या प्रत्याशियों के विरोध में था।
गहलोत ने इसीलिए किया संघ पर हमला
जोधपुर में संघ ने गजेन्द्र सिंह के लिए जी तोड़ मेहनत की। इसीलिए गहलोत ने हाल ही एक प्रेसवार्ता में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर जमकर आरोप लगाए थे।
गठबंधन में निभाई भूमिका
भाजपा ने एक सीट गठबंधन में रालोपा को दे दी और वहां से विधायक हनुमान बेनीवाल ने चुनाव लड़ा है। सूत्रों के मुताबिक गठबंधन कराने और बेनीवाल को भाजपा के साथ खड़ा करने में संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की बड़ी भूमिका रही है। इसी तरह बाड़मेर का टिकट भी संघ की राय पर माना जा रहा है क्योंकि भाजपा के एक धडे ने वहां से महेन्द्र चौधरी का नाम आगे कर रखा था, लेकिन संघ के सहयोग से कैलाश चौधरी को टिकट मिला।
विधानसभा में जिताकर लाया संघ
विधानसभा चुनावों में भी संघ ने काफी मेहनत की थी। संघ के दबाव में भाजपा ने नागौर से मोहनराम चौधरी को टिकट दिया था। विरोध के बावजूद संघ चौधरी के नाम पर अड़ा रहा और आखिरकार मोहनराम चौधरी को टिकट मिला और वह नागौर से चुनाव जीत गए। संघ की इस मेहनत की जानकारी दिल्ली तक थी, ऐसे में लोकसभा चुनावों में संघ की सलाह को पूरी तवज्जो दी गई।
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