सत्ता का केन्द्र माने जाने वाले सचिवालय से सरकार के सारे फरमान निकलते है और उसके अनुसार प्रदेश में काम होते हैं। यहीं पर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव से लेकर सभी मंत्रियों और आला अधिकारियों के दफ्तर है।
सामान्य दिनों में मंत्रियों और अफसरों से मिलने के लिए लोग कतार में लगे रहना सामान्य बात है। जबकि इन दिनों आचार संहिता के चलते मंत्री चुनाव में व्यस्त हो गए हैं। वहीं अफसर आवश्यक सरकारी कार्यों को प्राथमिकता दे रहे हैं, साथ ही मिलने-जुलने के लिए आने वाले लोगों की संख्या काफी कम हो गई है।
कार्मिक विभाग के सूत्रों ने बताया कि आचार संहिता से पहले तक हर दिन करीब ढाई से तीन हजार लोग सचिवालय आ रहे थे। जबकि इन दिनों यह संख्या महज 600 से 800 रह गई है।
स्वागत कक्ष- यहां के 7 काउंटर पर महज 10 से 15 लोग पास बनवाने के लिए खड़े थे। यह भी वह लोग थे, जो विभागीय बैठकों में शामिल होने के लिए आए थे। जबकि सामान्य दिनों में दोपहर 1 से 4 बजे के बीच आमजन को सचिवालय में मंत्री, अफसर और कर्मचारियों से मिलने के लिए पास बनाए जाते हैं। इस दौरान हर काउंटर पर आगुन्तकों की लंबी कतार रहती है।
मंत्रालय भवन- यहां पर तकरीबन एक दर्जन से अधिक मंत्रियों के दफ्तर है। पार्किंग में खड़ी गिनती की कारों से ही भवन के अंदर का अंदाज सहज ही लग रहा था। भवन की दोनों लिफ्ट खड़ी पड़ी थी। वहीं भूतल, प्रथम, द्वितीय और तीसरे तल पर सन्नाटा पसरा था। यहां गिनती लोग थे, जो मंत्रियों के कार्यालयों में लगे कर्मचारी थे।
मुख्य भवन- मुख्य सचिव समेत करीब आधा दर्जन मंत्रियों के दफ्तर है। यहां लोगों की चहल-पहल थी, लेकिन यह आम दिनों की अपेक्षा कम थी। इसके अलावा अïफसरों और कर्मचारियों से बात की तो उन्होंने सरकारी कार्यों से ज्यादा चुनाव की चर्चा में रूचि दिखाई। किसी अधिकारी ने अपना चुनावी गणित बताया तो किसी कर्मचारी ने पुलवामा, मसूद अजहर, बेरोजगारी, महंगाई को चुनाव पर असर डालने वाला बताया। इसके साथ ही कांग्रेस का सपा और बसपा के साथ गठबंधन नहीं होने के भी कई तर्क देते हुए लोग दिखे।
सबसे अधिक भीड़ यहां रहती थी आम दिनों में ऊर्जा मंत्री बी.डी.कल्ला, स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा के कार्यालय के बाहर गलियारे में लोगों का हुजूम दिखता था, जहां अब गिने-चुने आगुन्तक दिख रहे हैं।