विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के अच्छे प्रदर्शन ने कांग्रेस और भाजपा के कान खड़े कर दिए हैं। अब यह तीनों ही लोकसभा चुनाव के लिए फिर से दम-खम दिखाने को तैयार दिख रहे हैं। गत लोकसभा चुनावों में राज्य की सभी 25 सीटें जीतने के बाद विधानसभा चुनाव में हार चुकी भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सम्मानजनक स्थिति हासिल करना बड़ी चुनौती है। वहीं सत्ता पर सवार हुई कांग्रेस के लिए बसपा और बीटीपी चिंताजनक हालात बना रही है। विधानसभा की तरह लोकसभा चुनाव में भी यह दोनों दलों जीत की राह में रोड़ा डाल सकती है।
पूर्व में बहुजन समाज पार्टी अलवर लोकसभा
बसपा ने विधानसभा चुनाव में छह सीटें हासिल की है। इनमें दो सीटें भरतपुर और इतनी ही अलवर में जीती है। अलवर को लेकर दोनों दलों में चिंता बनी हुई है। अलवर में करीब एक साल पहले लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन गिर गया। इसके लिए काफी हद तक बसपा जिम्मेदार है। बसपा ने दो सीट जीतने के साथ अन्य सीटों पर कांग्रेस के समीकरणों को बिगाड़ दिया। लोकसभा उपचुनाव जीतने वाले करण सिंह यादव किशनगढ़बास में तीसरे स्थान पर चले गए। यहां बसपा ने जीत हासिल की। वहीं भाजपा पर उसके बागी भारी पड़े। बहरोड़ सीट पर निर्दलीय ने चुनाव जीता है। वोट के लिहाज से देखें तो अलवर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली आठ में से सात विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ, जिसमें बसपा को 2.61 लाख वोट मिले। जबकि इन आठों सीटों पर भाजपा करीब 14 हजार वोट से कांग्रेस से आगे रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में बसपा के उतरने से इस सीट पर समीकरण बिगडऩा तय माना जा रहा है।
बसपा ने विधानसभा चुनाव में छह सीटें हासिल की है। इनमें दो सीटें भरतपुर और इतनी ही अलवर में जीती है। अलवर को लेकर दोनों दलों में चिंता बनी हुई है। अलवर में करीब एक साल पहले लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन गिर गया। इसके लिए काफी हद तक बसपा जिम्मेदार है। बसपा ने दो सीट जीतने के साथ अन्य सीटों पर कांग्रेस के समीकरणों को बिगाड़ दिया। लोकसभा उपचुनाव जीतने वाले करण सिंह यादव किशनगढ़बास में तीसरे स्थान पर चले गए। यहां बसपा ने जीत हासिल की। वहीं भाजपा पर उसके बागी भारी पड़े। बहरोड़ सीट पर निर्दलीय ने चुनाव जीता है। वोट के लिहाज से देखें तो अलवर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली आठ में से सात विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ, जिसमें बसपा को 2.61 लाख वोट मिले। जबकि इन आठों सीटों पर भाजपा करीब 14 हजार वोट से कांग्रेस से आगे रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में बसपा के उतरने से इस सीट पर समीकरण बिगडऩा तय माना जा रहा है।
अलवर लोकसभा सीट : 8 में से 7 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव
पार्टी —— सीटें —— वोट
कांग्रेस —— 2 —— 398881
भाजपा —— 2 —— 413068
बसपा ——- 2 —— 261237
निर्दलीय —– 1 —— 55160
भरतपुर लोकसभा सीट
भरतपुर लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से फिलहाल कांग्रेस के पास 5 और उसके सहयोगी दल रालोद के पास एक सीटें है, लेकिन उसकी चिंता लोकसभा चुनाव को लेकर बनी हुई है, क्योंकि यहां शेष दो सीटें बसपा हासिल की है। साथ ही उसे आठों सीटों पर मिले पौने दो लाख से अधिक वोटों ने कांग्रेस और भाजपा की धड़कन बढ़ा रखी है। हालांकि कांग्रेस के लिए राहत इस बात की है कि वह विधानसभा चुनाव में भाजपा से करीब 86 हजार वोट से आगे रही है और भाजपा का कोई विधायक नहीं है। वहीं कांग्रेस को बसपा को लेकर उसकी मुश्किल पता है, जिसकी वजह से उसने यहां से तीन मंत्री बनाए हैं।
पार्टी —— सीटें —— वोट
कांग्रेस —— 2 —— 398881
भाजपा —— 2 —— 413068
बसपा ——- 2 —— 261237
निर्दलीय —– 1 —— 55160
भरतपुर लोकसभा सीट
भरतपुर लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से फिलहाल कांग्रेस के पास 5 और उसके सहयोगी दल रालोद के पास एक सीटें है, लेकिन उसकी चिंता लोकसभा चुनाव को लेकर बनी हुई है, क्योंकि यहां शेष दो सीटें बसपा हासिल की है। साथ ही उसे आठों सीटों पर मिले पौने दो लाख से अधिक वोटों ने कांग्रेस और भाजपा की धड़कन बढ़ा रखी है। हालांकि कांग्रेस के लिए राहत इस बात की है कि वह विधानसभा चुनाव में भाजपा से करीब 86 हजार वोट से आगे रही है और भाजपा का कोई विधायक नहीं है। वहीं कांग्रेस को बसपा को लेकर उसकी मुश्किल पता है, जिसकी वजह से उसने यहां से तीन मंत्री बनाए हैं।
भरतपुर 8 विधानसभा सीटों की स्थिति पार्टी —— सीटें —— वोट
कांग्रेस —— 5 —— 525657
भाजपा —— 0 —— 438916
बसपा ——- 2 —— 179535
रालोद ——- 1 —— 52869
पश्चिम में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी
कांग्रेस —— 5 —— 525657
भाजपा —— 0 —— 438916
बसपा ——- 2 —— 179535
रालोद ——- 1 —— 52869
पश्चिम में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी
नागौर लोकसभा सीट
हनुमान बेनीवाल खुद नागौर से आते हैं। यही वजह है कि रालोप ने यहां खींवसर और मेड़ता में विधानसभा चुनाव जीता। हालांकि मेड़ता विधानसभा राजसमंद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। विधानसभा चुनाव के परिणाम ने साबित कर दिया है कि यहां रालोप ने भाजपा को ही नुकसान पहुंचाया है। जायल और लाडऩू में उसके उम्मीदवारों को मिले वोट के चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में बेनीवाल निर्दलीय के तौर पर लड़े थे और कांग्रेस की हार का कारण बने थे। जबकि इस बार हालात बदले हुए दिख रहे हैं। फिलहाल विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों पर कांग्रेस ने 1.31 लाख से अधिक वोट की बढ़त भाजपा पर बनाई थी। वहीं रालोप को 1.58 लाख वोट मिले हैं। बेनीवाल ने एक बार फिर लोकसभा के लिए ताल ठोकनी शुरू कर दी है। ऐसे में दोनों ही दलों की बेचैनी बढ़ रही है।
हनुमान बेनीवाल खुद नागौर से आते हैं। यही वजह है कि रालोप ने यहां खींवसर और मेड़ता में विधानसभा चुनाव जीता। हालांकि मेड़ता विधानसभा राजसमंद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। विधानसभा चुनाव के परिणाम ने साबित कर दिया है कि यहां रालोप ने भाजपा को ही नुकसान पहुंचाया है। जायल और लाडऩू में उसके उम्मीदवारों को मिले वोट के चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में बेनीवाल निर्दलीय के तौर पर लड़े थे और कांग्रेस की हार का कारण बने थे। जबकि इस बार हालात बदले हुए दिख रहे हैं। फिलहाल विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों पर कांग्रेस ने 1.31 लाख से अधिक वोट की बढ़त भाजपा पर बनाई थी। वहीं रालोप को 1.58 लाख वोट मिले हैं। बेनीवाल ने एक बार फिर लोकसभा के लिए ताल ठोकनी शुरू कर दी है। ऐसे में दोनों ही दलों की बेचैनी बढ़ रही है।
नागौर की 8 विधानसभा सीटों की स्थिति पार्टी —— सीटें —— वोट
कांग्रेस —— 5 —— 600146
भाजपा —— 2 —— 468859
रालोपा——- 1 —— 158891 बाड़मेर लोकसभा सीट
इसमें बाड़मेर जिले की सात और जैसलमेर जिले की एक विधानसभा सीटें हैं, इनमें से सात कांग्रेस और एक पर भाजपा जीती है। बाड़मेर जिले की चार विधानसभा सीटों पर रालोप ने भाजपा को हराने में अहम भूमिका निभाई। खासतौर पर बायतू में भाजपा उम्मीदवार तीसरे नंबर पर चला गया। जबकि चौहटन, शिव और सिवाना में रालोप उम्मीदवारों ने अच्छे-खासे वोट हासिल कर भाजपा को हार के मुहाने पर धकेल दिया। रालोप को बाड़मेर की इन सात सीटों पर 1.48 लाख से अधिक वोट मिले हैं। वहीं इस लोकसभा सीट पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा पर 1.61 लाख से अधिक वोट की बढ़त मिली है। लोकसभा चुनाव में रालोप समीकरण बनाने-बिगाडऩे का काम फिर से कर सकती है।
कांग्रेस —— 5 —— 600146
भाजपा —— 2 —— 468859
रालोपा——- 1 —— 158891 बाड़मेर लोकसभा सीट
इसमें बाड़मेर जिले की सात और जैसलमेर जिले की एक विधानसभा सीटें हैं, इनमें से सात कांग्रेस और एक पर भाजपा जीती है। बाड़मेर जिले की चार विधानसभा सीटों पर रालोप ने भाजपा को हराने में अहम भूमिका निभाई। खासतौर पर बायतू में भाजपा उम्मीदवार तीसरे नंबर पर चला गया। जबकि चौहटन, शिव और सिवाना में रालोप उम्मीदवारों ने अच्छे-खासे वोट हासिल कर भाजपा को हार के मुहाने पर धकेल दिया। रालोप को बाड़मेर की इन सात सीटों पर 1.48 लाख से अधिक वोट मिले हैं। वहीं इस लोकसभा सीट पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा पर 1.61 लाख से अधिक वोट की बढ़त मिली है। लोकसभा चुनाव में रालोप समीकरण बनाने-बिगाडऩे का काम फिर से कर सकती है।
बाड़मेर-जैसलमेर की 8 विधानसभा सीटों की स्थिति पार्टी —— सीटें —— वोट
कांग्रेस —— 5 —— 706445
भाजपा —— 2 —— 545151
रालोपा——- 1 —— 148324
दक्षिण में भारतीय ट्राइबल पार्टी बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट
डूंगरपुर और बांसवाड़ा जैसे आदिवासी जिलों में इस विधानसभा चुनाव में बीटीपी का उदय होने से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही परेशान है। इस चुनाव में इस दल ने दोनों को ही नुकसान पहुंचाया है। जहां भाजपा को हार की ओर धकेला है, वहीं कांग्रेस के हाथ से जीत छीन ली है। बांसवाड़ा जिले की पांच विधानसभा सीटों में दो पर कांग्रेस और एक पर उसकी बागी ने चुनाव जीता। बागी विधायक ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया। वहीं बीटीपी ने डूंगरपुर जिले की चौरासी और सागवाड़ा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है। जबकि डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा सीट पर भाजपा को और गढ़ी व घाटोल में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस को इस लोकसभा सीट पर 29950 वोट की बढ़त भाजपा पर है। वहीं बीटीपी को 1.59 लाख वोट मिले थे। बीटीपी ने अब लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में दोनों दल के नेता इसका कोई तोड़ निकालने में जुटे हुए हैं।
बांसवाड़ा-डूंगरपुर की 8 विधानसभा सीटों की स्थिति
कांग्रेस —— 5 —— 706445
भाजपा —— 2 —— 545151
रालोपा——- 1 —— 148324
दक्षिण में भारतीय ट्राइबल पार्टी बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट
डूंगरपुर और बांसवाड़ा जैसे आदिवासी जिलों में इस विधानसभा चुनाव में बीटीपी का उदय होने से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही परेशान है। इस चुनाव में इस दल ने दोनों को ही नुकसान पहुंचाया है। जहां भाजपा को हार की ओर धकेला है, वहीं कांग्रेस के हाथ से जीत छीन ली है। बांसवाड़ा जिले की पांच विधानसभा सीटों में दो पर कांग्रेस और एक पर उसकी बागी ने चुनाव जीता। बागी विधायक ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया। वहीं बीटीपी ने डूंगरपुर जिले की चौरासी और सागवाड़ा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है। जबकि डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा सीट पर भाजपा को और गढ़ी व घाटोल में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस को इस लोकसभा सीट पर 29950 वोट की बढ़त भाजपा पर है। वहीं बीटीपी को 1.59 लाख वोट मिले थे। बीटीपी ने अब लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में दोनों दल के नेता इसका कोई तोड़ निकालने में जुटे हुए हैं।
बांसवाड़ा-डूंगरपुर की 8 विधानसभा सीटों की स्थिति
पार्टी —————— सीटें —— वोट
कांग्रेस व निर्दलीय —— 4 —— 604817
भाजपा —————– 2 —— 574867
बीटीपी —————– 2 —— 159552
कांग्रेस व निर्दलीय —— 4 —— 604817
भाजपा —————– 2 —— 574867
बीटीपी —————– 2 —— 159552