कांग्रेस नेताओं ने सत्ता में आने पर नोटबंदी की जांच कराने और संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करने का वायदा भी किया है।
BJP के प्रचार की मुख्य जिम्मेदारी प्रधानमंत्री
Narendra Modi पर रही जिन्होंने कांग्रेस पर देश में गरीबी फैलाने, आतंकवाद पर काबू नहीं कर पाने, महंगाई बढ़ाने के साथ परिवारवाद की राजनीति के तीखे आरोप लगाए। उन्होंने अपनी सरकार को मजबूत सरकार बताने के साथ जनता का इस बात पर विश्वास हासिल करने का प्रयास किया कि मोदी है तो मुमकिन है।
दूसरे चरण में केंद्रीय मंत्री
Arjun Ram Meghwal बीकानेर से,
Rajyavardhan Singh Rathore जयपुर ग्रामीण सीट से चुनाव मैदान में हैं। अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी के भारी विरोध से जूझ रहे मेघवाल के चुनाव को प्रतिष्ठा का मानते हुए मोदी बीकानेर में जमीन घोटाले को उजागर करने का श्रेय अर्जुन राम को देकर उनकी पीठ थपथपा चुके हैं। तिकड़ी बनाने का प्रयास कर रहे मेघवाल के सामने पूर्व आईपीएस मदन गोपाल मेघवाल को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है।
जयपुर ग्रामीण से राज्यर्वद्धन सिंह राठौड़ के सामने विधायक एवं पूर्व ओलम्पियन
Krishna Poonia को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने कड़ी चुनौती पेश की है। इस क्षेत्र में जाट समाज के चार लाख से भी अधिक मतदाताओं के कारण पूनिया को काफी दमदार माना जा रहा है, लेकिन युवा मतदाताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आकर्षण होने से राठौड़ भी कमतर नहीं हैं। जयपुर में सांसद
ramcharan bohara के सामने कांग्रेस की पूर्व महापौर
jyoti khandelwal पूरा दमखम लगा रहीं हैं। जयपुर में मोदी की सभा के बाद सांसद की स्थिति को काफी मजबूत माना जा रहा है, लेकिन नोटबंदी और जीएसटी के कारण नाराज वैश्य समाज की कांग्रेस के पक्ष में एकजुटता रही तो भाजपा को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
संसद में पांचवी बार गंगानगर से संसद में पहुंचने के लिए जोर लगा रहे सांसद
nihalchand मेघवाल के सामने कांग्रेस ने पूर्व सांसद भरत मेघवाल को मैदान में उतारा है। आरोपों के कारण मोदी सरकार से मंत्री पद खोने वाले निहालचंद इस बार मोदी की लोकप्रियता के भरोसे हैं। चूरु से सांसद
rahul kaswan के सामने कांग्रेस ने भाजपा के हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के प्रयास के बावजूद अल्पसंख्यक प्रत्याशी रफीक मंडेलिया को मैदान में उतारा है। दरअसल 2014 के चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह की जमानत जब्त हो गई, जबकि रफीक मंडेलिया वर्ष 2009 में श्री राहुल कस्वां के पिता रामसिंह कस्वां से मामूली मतों के अंतर से हारे थे। कांग्रेस ने उनके इस प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें कस्वां के खिलाफ आजमाया है।
झुंझुनू में भाजपा ने सांसद संतोष अहलावत के स्थान पर विधायक नरेंद्र खींचड़ पर भरोसा किया है जिनके सामने कांग्रेस ने पूर्व विधायक श्रवण कुमार को मैदान में उतारा है। पिछली बार सूरजगढ़ से उपचुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता दिगम्बर सिंह को हराकर चर्चा में आए कुमार इस बार विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन कांग्रेस को विश्वास है कि हार की सहानुभूति के सहारे भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। सीकर में सांसद सुमेधानंद सरस्वती के सामने पूर्व सांसद सुभाष महरिया कांग्रेस के टिकट पर कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
पहले कांग्रेस और बाद में भाजपा में मंत्री पद का सुख भागने वाले महरिया ने पिछला लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इस बार वह कांग्रेस के टिकट पाने में सफल रहे। यहां भी मोदी की लोकप्रियता के कारण सांसद की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। अलवर में लोकसभा उप चुनाव में कांग्रेस से हार बैठी भाजपा ने इस बार पूर्व सांसद दिवंगत बाबा चांदनाथ के उत्तराधिकारी बाबा बालकनाथ को मैदान में उतारा है, जो कांग्रेस के काफी अनुभवी पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से कड़ी टक्कर ले रहे हैं।
भरतपुर में सांसद बहादुर सिंह कोली का टिकट काटकर पूर्व सांसद गंगाराम की पुत्री रंजीता को मैदान में उतारा गया है जिनके सामने कांग्रेस ने नए चेहरे अभिजीत कुमार को खड़ा किया है। इस क्षेत्र में जाट, कोली के समीकरण के चलते कांग्रेस उम्मीदवार भारी पड़ रहा है, लेकिन मोदी की लोकप्रियता काम आई तो भाजपा उम्मीदवार भी कमतर नहीं पड़ेगी। करौली में भारी विरोध के बावजूद सांसद मनोज राजौरिया को भाजपा ने फिर उम्मीदवार बनाया है, जिनके सामने कांग्रेस ने नया चेहरा संजय जाटव को खड़ा किया है।
दौसा में सांसद हरीश मीणा के पाला बदलकर कांग्रेस में जाने तथा राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा की दखलंदाजी के कारण भाजपा इस सीट पर बड़ी मशक्कत के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जसकौर को उम्मीदवार बना पाई। जिनके सामने कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा की पत्नी सविता चुनाव मैदान में हैं। नागौर में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री सी आर चौधरी का टिकट काटकर समझौते में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के
hanuman beniwal की झोली में डाल दी, जिनका मुकाबला पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा से है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाने वाले बेनीवाल अब जाटों को भाजपा के पक्ष में गोलबंद करने में लगे हैं।