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लोकसभा चुनाव : राजे पुत्र मोह में नहीं लड़ना चाहती चुनाव, चर्चित नामों में राठौड़ आगे, तो अन्य अवसर की तलाश में

locationजयपुरPublished: Mar 15, 2019 09:37:03 pm

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dushyant and vasundhara raje

लोकसभा चुनाव : राजे पुत्र मोह में नहीं लड़ना चाहती चुनाव, चर्चित नामों में राठौड़ आगे, तो अन्य अवसर की तलाश में

अरविन्द शक्तावत / जयपुर. केन्द्र की सत्ता में भाजपा के फिर से लौटने की उम्मीद लेकर यह सभी नेता टिकट की कतार में खड़े हैं। इस आस में कि चुनाव लड़कर दिल्ली पहुंचें और वहां सरकार में भागीदारी मिल जाए। इनमें छह से ज्यादा ऐसे विधायक एवं पूर्व मंत्री हैं जो टिकट के लिए जोड़-तोड़ में लगे हैं।
कुछ ऐसे कद्दावर नेता भी शामिल हैं, जिन्हें पार्टी तो चुनाव लड़ाना चाहती है लेकिन वे तैयार नहीं हो रहे। इनमें सबसे बड़ा नाम पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का है। केन्द्रीय नेत्तृव उन्हें बारां-झालावाड़ सीट से चुनाव में उतारने का पक्षधर है। इसी सीट से उनके बेटे दुष्यंत सिंह (Dushyant Singh) लगातार तीन बार से सांसद हैं। ऐसी स्थिति में यदि वहां से वसुंधरा को उतारा जाता है तो दुष्यंत के टिकट पर गाज गिरेगी। ऐसी स्थिति से बचने के लिए वसुंधरा चुनाव में उतरने को तैयार नहीं हैं।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सबसे चर्चित नाम राजेन्द्र राठौड़ का है। राठौड़ फिलहाल विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हैं। वह अधिकारिक तौर पर तो टिकट मांगने की बात स्वीकार नहीं करते लेकिन यह जरूर बोले कि पार्टी उनको मौका देगी तो पीछे नहीं हटेंगे। चूरू और झुंझुनूं से राठौड़ मौका तलाश भी रहे हैं। राठौड़ के बाद पुरानी सरकार का दूसरा बड़ा चेहरा हैं वासुदेव देवनानी। अजमेर उत्तर से चौथी बार विधायक देवनानी अजमेर से दावेदारी कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से वरदहस्त प्राप्त देवनानी की चुनाव कोर कमेटी के नेताओं से भी नजदीकी है।

मंडावा विधायक नरेन्द्र कुमार भी झुंझुनूं से टिकट की दौड़ में हैं। नरेन्द्र ने पिछली बार निर्दलीय चुनाव जीत के भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया था। इस बार चुनाव से ऐन पहले भाजपा में शामिल होकर टिकट लिया और जीत गए। अब सत्ता आई नहीं तो वह भी दिल्ली में मौका तलाशने की जुगत में जुट गए हैं। आरएसएस के एक और चहेते विधायक सतीश पूनिया का नाम भी लोकसभा टिकट की दौड़ में है। वह चूरू से प्रयास में जुटे हैं। सांगानेर से विधायक अशोक लाहोटी ने भी विधानसभा चुनाव में भाजपा की वापसी की आस में जयपुर महापौर का पद छोड़कर चुनाव लड़ा। खुद तो जीत गए लेकिन सरकार नहीं बनी। अब वह महापौर रहने के नाते जयपुर शहर से भाजपा के टिकट की दौड़ में शामिल हो गए।

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