लोकसभा का प्रश्नकाल शुरू होते ही डीएमके सांसद टीआर बालू ने स्थगन प्रस्ताव रखा, जिस पर अध्यक्ष बिरला ने कहा प्रश्नकाल के बाद विचार करने का आश्वासन दिया। इस दौरान सदन में व्यवधान भी आया, लेकिन बिरला ने सांसद मीनाक्षी लेखी का नाम सवाल पूछने के लिए पुकार लिया। इसके बाद सदन में सांसदों के सवाल पूछने और मंत्रियों के जवाब देने का सिलसिला शुरू हो गया। निर्धारित एक घंटे में सूचीबद्ध सभी 20 सवाल लिए गए और उन पर पूछे गए पूरक सवालों के जवाब मंत्रियों ने दिए। हालांकि सदन में कई बार शोरगुल हुआ, लेकिन अध्यक्ष ने स्थिति को संभाल लिया। सभी सवालों के जवाब आने पर बिरला ने सभी मंत्रियों और सांसदों को इसमें सक्रिय सहयोग करने के लिए धन्यवाद भी दिया।
1972 में 14 सवालों के दिए थे जवाब अब तक प्रश्न काल के दौरान एक दिन में अधिकतम 45 सवाल के जवाब दिए जा चुके हैं। यह रिकार्ड 15 मार्च, 1955 का है। इसके बाद 25 जनवरी, 1963 को प्रश्नकाल की अधिकतम सीमा 30 कर दी गई थी। अधिकतम 30 प्रश्नों की सीमा लागू होने के बाद एक दिन में प्रश्न काल के दौरान पूछे गए अधिकतम प्रश्नों की संख्या 21 रही। यह रिकार्ड 13 सितंबर 1963 को बना। इसके बाद वर्ष 1972 से तारांकित प्रश्नों की संख्या 20 पर सीमित कर दी गई। 1972 में अधिकतम प्रश्नों की संख्या में किए गए बदलाव के बाद से अब तक कभी इतनी संख्या में प्रश्न नहीं पूछे गए हैं। जबकि उसी वर्ष 14 मार्च को सदन में अधिकतम 14 प्रश्नों का मौखिक उत्तर दिया गया था।
-अहम मुद्दों पर सरकार को देना पड़ा जवाब
प्रश्नकाल में दिल्ली के प्रदूषण से लेकर सेना में भर्ती, भारत नेट प्रोजेक्ट, हिन्दी में प्रतियोगी परीक्षा कराने, अर्थव्यवस्था और रेल परियोजनाओं से जुड़े सवाल किए गए। इन सभी का मंत्रियों ने सदन में मौखिक जवाब देकर सांसदों को संतुष्ट करने की कोशिश की।
भूमिका बांधने और लंबा प्रश्न पूछने से रोका
प्रश्नकाल के दौरान बिरला ने सांसदों को प्रश्न पूछने के लिए भूमिका बांधने से रोक दिया। साथ ही कुछ सांसद प्रश्न लंबा पूछने लगे तो उन्हें भी टोक दिया।