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Dhanteras 2020 Puja Vidhi प्रदोष काल में इस तरह करें भगवान धन्वंतरि की पूजा, जानें यम दीपक लगाने का क्या है नियम

locationजयपुरPublished: Nov 13, 2020 08:19:27 am

Submitted by:

deepak deewan

उदया तिथि के आधार पर मनाई जानेवाली धनतेरस के साथ ही आज से दीपोत्सव शुरू हो रहा है। पंचांग भेद के कारण इस बार कुछ जगहों पर 12 नवंबर को ही धनतेरस मनाई जा चुकी है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर ही भगवान धन्वंतरि समुद्र से अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे।

Lord Dhanwantri Puja Lord Yamraj Dhanteras Shopping Muhurat

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जयपुर. उदया तिथि के आधार पर मनाई जानेवाली धनतेरस के साथ ही आज से दीपोत्सव शुरू हो रहा है। पंचांग भेद के कारण इस बार कुछ जगहों पर 12 नवंबर को ही धनतेरस मनाई जा चुकी है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर ही भगवान धन्वंतरि समुद्र से अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की उदया तिथि त्रयोदशी शाम 7 बजकर 59 मिनट तक रहेगी, इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। हालांकि रूप चौदस या नरक चतुर्दशी उदया तिथि के कारण 14 नवंबर को भी मनाई जाएगी। 14 नवंबर को दोपहर करीब 1.25 अमावस्या तिथि लगने से इसी दिन दीपावली भी मनाई जाएगी।
13 नवंबर को दिन में धनतेरस के लिए बर्तनों या जेवरों की परंपरागत खरीदारी की जा सकती है। वहीं प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि होने से शाम को भगवान धन्वंतरि और यम देव की पूजा भी कर सकते हैं। आज के दिन हो सके तो पीतल, कांसे या तांबे का एक बर्तन जरूर खरीदें। लक्ष्मी प्रतिमा, चांदी के सिक्के, सोने चांदी के जेवर की खरीदारी भी शुभ होती है।
मान्यता यह भी है कि इस दिन शुरू किए गए शुभ काम, पूजा—पाठ या खरीदी का 13 गुना फल प्राप्त होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि को पूजा में तुलसी सहित अन्य औषधियां अर्पित करनी चाहिए। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में यमराज के लिए घर की दक्षिण दिशा में दीप जलाएं।
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