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शिव मंत्र के इस जाप से आस-पास भी नहीं भटकेंगे राहु-केतु, इस तरीके से बदल जाएगा आपका भाग्य

locationजयपुरPublished: Apr 22, 2018 10:05:37 pm

Submitted by:

rohit sharma

शिव मंत्र के इस जाप से आस-पास भी नहीं भटकेंगे राहु-केतु, इस तरीके से बदल जाएगा आपका भाग्य

How to Celebrate Gayatri Jayanti

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जयपुर। हिंदू धर्म में कुल 9 ग्रहों का ज़िक्र किया गया है। जिनमें से शनि और राहु-केतु को इंसानों के प्रति क्रूर स्वभाव वाला ग्रह बताया जाता है। शनि और राहु-केतु का नकारात्मक प्रभाव इतना तेज़ होता है कि आपकी कुंडली में विराजमान कई प्रकार के शुभ योग भी समाप्त हो जाते हैं। कई बार ज्योतिषों द्वारा कुंडली में शनि और राहु-केतु के प्रभाव के बारे में सुनकर लोग काफी निराश हो जाते हैं और इसे अपनी बदकिस्मती मान लेते हैं।
लेकिन हम आपको बता दें कि कुछ खास उपायों से आप अपनी कुंडली के साथ-साथ ज़िंदगी से भी शनि और राहु-केतु के सभी दोषों से मुक्ति पा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव इन ग्रहों पर काफी असरदार है। भगवान शिव देवों के देव महादेव कहलाते हैं। तो ऐसे में इन ग्रहों की क्या मजाल की महादेव के सामने उनके भक्तों को परेशान करें। इसलिए यदि आपको अपनी कुंडली से शनि और राहु-केतु के दोषों को दूर करना है तो आपको भगवान शिव को प्रसन्न करना होगा। लेकिन सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए कुछ आसान उपाय हैं, जिससे आप भगवान शिव को अति प्रसन्न कर सकते हैं।
केवल शास्त्रों में ही नहीं बल्कि शिवपुराण में भी ये कहा गया है कि भगवान शिव की पूजा करने में फूल-पत्तियों का इस्तेमाल भी किया जाए तो उससे भगवान बहुत खुश होते हैं। आमतौर पर लोग भगवान शिवलिंग पर बिल्व पत्र ही चढ़ाते हैं। यदि बिल्व पत्र के साथ ही शमी के पत्ते भी चढ़ाए जाएं तो भगवान शिव बहुत खुश होते हैं। इसके लिए आपको रोज़ाना सुबह सूर्योदय से पहले शिवलिंग पर तांबे के लोटे में शुद्ध जल के साथ गंगाजल मिलाकर, उसमें साफ चावल, संभव हो तो सफेद चंदन मिला लें। इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाएं।
इसके बाद शिवलिंग पर अलग से थोड़े साफ चावल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र, जनेऊ, साफ गुड़ या चीनी और शमी के पत्ते चढ़ाएं। लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें की शिवलिंग पर शमी के पत्ते चढ़ाते वक्त आपको मंत्र का भी उच्चारण करना होगा जो नीचे लिखा है-
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।

इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद एक थाली में धूप, दीया और कपूर जलाकर भगवान शिव की पूजा और आरती करें। और अंत में प्रसाद ग्रहण करके परिवार में सभी को बांट दें और खुद भी ग्रहण करें।
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