उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने सीएम अशोक गहलोत के लव जिहाद को लेकर दिए गए बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताकर इसे वोटबैंक की राजनीति से प्रेरित बताया है। राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, अलवर, जोधपुर व जयपुर में कई ऐसे मामले संज्ञान में आ चुके हैं जिनमें समुदाय विशेष के युवकों द्वारा स्वयं का धर्म छिपाते हुए युवती को धर्म परिवर्तन कर निकाह करने का अनुचित दबाव बनाया गया। लेकिन प्रदेश के मुखिया इन मामलों पर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।
राठौड़ ने कहा कि विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, लेकिन इसके लिए किसी युवती को बलपूर्वक, डरा-धमकाकर या अनुचित दबाव डालकर ‘धर्म परिवर्तन’ करना कहां तक न्यायोचित है ? लव जिहाद को लेकर अपने सांप्रदायिक एजेंडे का पालन करते हुए मुख्यमंत्री का दिया ये बयान उन नाबालिगों व युवतियों के हितों के साथ कुठराघात है, जिनकी जिंदगी समुदाय विशेष के युवकों द्वारा षड्यंत्रपूर्वक व सोची-समझी साजिश के तहत कुचली जाती है और उन्हें अपना शिकार बनाया जाता है। उन्होंने गहलोत से पूछा है कि युवती को विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करना उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता को छीनने जैसा नहीं है ? राठौड़ ने कहा कि बीजेपी शासित अन्य प्रदेशों की तर्ज पर गहलोत को लव जिहाद की पैरवी नहीं करते हुए कानून बनाकर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
गहलोत का बयान लव जिहादियों के हौसले बुलंद करने वाला-देवनानी भाजपा विधायक वासुदेव देनवानी ने कहा कि प्रदेश में लव जिहाद से पीड़ित लड़कियों को कानून बनाकर न्याय दिलाने के बजाए गहलोत अपनी जिम्मेदारी से भागते नजर आ रहे हैं। वोट के लिए इस कदर तुष्टिकरण एवं भेदभाव की नीति का खुले में दामन थामना कोई मुख्यमंत्री से सीखे। वे इधर-उधर की बात करना छोड़ मप्र की तर्ज पर प्रदेश में भी लव जिहाद के खिलाफ धर्म स्वतंत्र्य कानून लाएं, नहीं तो आगामी विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।