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जयपुर में 508 में से 258 लो फ्लोर बसों के क्यों थम गए पहिए, जानिए

locationजयपुरPublished: Sep 26, 2019 02:22:00 pm

Submitted by:

Pawan kumar

– सबसे ज्यादा सांगानेर डिपो में 150 बसें सड़क से उतरी
 

अफसरों ने रात दो बजे स्टिंग कर लो-फ्लोर चालक को डीजल चोरी करते पकड़ा, निलंबित

अफसरों ने रात दो बजे स्टिंग कर लो-फ्लोर चालक को डीजल चोरी करते पकड़ा, निलंबित,अफसरों ने रात दो बजे स्टिंग कर लो-फ्लोर चालक को डीजल चोरी करते पकड़ा, निलंबित,अफसरों ने रात दो बजे स्टिंग कर लो-फ्लोर चालक को डीजल चोरी करते पकड़ा, निलंबित,अफसरों ने रात दो बजे स्टिंग कर लो-फ्लोर चालक को डीजल चोरी करते पकड़ा, निलंबित,अफसरों ने रात दो बजे स्टिंग कर लो-फ्लोर चालक को डीजल चोरी करते पकड़ा, निलंबित

जयपुर। राजधानी जयपुर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की रीढ़ कही जाने वाली लो फ्लोर बसों के हाल बेहाल है। राज्य सरकार लो फ्लोर बसों की स्थिति सुधारने की बजाय सिर्फ अधिकारी बदल रही है। नरेन्द्र कुमार गुप्ता को जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (जेसीटीएसएल) का नया प्रबंधन निदेशक (एमडी) नियुक्त किया गया है। जेसीटीएसएल की कुल 508 बसों में से 215 बसें कंडम घोषित की जा चुकी है। जबकि 43 बसें मेंटिनेंस नहीं होने की वजह से आॅफ रोड है। ऐसे में शहर में सिर्फ 250 लो फ्लोर बसें ही चल रही है।
सांगानेर डिपो बना कबाड़

जानकारी के अनुसार सांगानेर डिपो में सबसे ज्यादा बसें है। सांगानेर डिपो की 200 से ज्यादा बसों में से सिर्फ 70 बसें ही ऐसी हैं, जो सड़क पर चल रही हैं। इनमें से भी 20 से 25 बसें रोजाना रूट पर नहीं जा पा रही हैं। बसें पुरानी होने के कारण आए दिन खराबी आती रहती है। सांगानेर डिपो में बस संचालन का जिम्मा संभाल रही निजी फर्म रोजाना करीब 50 बसें ही चला रही हैं। इसके कारण रूट पर बसों की संख्या कम हो गई है। सांगानेर डिपो में 150 से ज्यादा बसें कंडम हालत में खड़ी है। ऐसे में सांगानेर डिपो कबाड़ में तब्दील हो गया है। यहां पर चलने वाली बसों की तुलना में कंडम बसों की संख्या 3 गुना ज्यादा है।
नई बसें भी पूरी नहीं चल रही
जेसीटीएसएल के टोडी हरमाड़ा डिपो में 108 बसें हैं, इनमें से 90 बसें बिल्कुल नई हैं। जिन्हें 2018 में जेसीटीएसएल के बेड़े में शामिल गया था। लेकिन टोडी डिपो में भी 108 में से 85 से 90 बसों का ही संचालन रोजाना किया जा रहा है। यहां पर 15 से 20 बसें रूट पर नहीं चलाई जा रही है। टोडी डिपो से बसों का संचालन जेसीटीएसएल प्रबंधन खुद करता है। इसी तरह विद्याधर नगर डिपो में 108 लो फ्लोर बसें हैं। इनमें से 85 से 88 बसें ही रोजाना रूट पर जा रही हैं। यहां भी 20 से 25 बसें रोड डिपो पर खड़ी रहती हैं। विद्याधर नगर डिपो में वर्ष 2013 में खरीदी गईं लो फ्लोर बसें ज्यादा है। इनका मेंटिनेंस नहीं होने के कारण बसें आए दिन आॅफ रोड होती रहती है।
टायर, बैट्री की कमी

जानकारी के अनुसार जेसीटीएसएल की दोनों ठेकेदार फर्म लो फ्लोर बसों के लिए नए टायर और बैट्री का इंतजाम नहीं कर पा रही है। पुराने टायरों के कारण ज्यादातर बसें बीच रास्ते में बंद हो जाती हैं। तो बहुत सी बसों में बैट्री नहीं होने के कारण धक्का स्टार्ट है। ऐसे में बस को पूरा दिन स्टार्ट रखना पड़ता, इसके कारण डीजल की खपत ज्यादा होती है। इन हालात में निजी फर्म धक्का स्टार्ट बसों को रूट पर भेजने से बचती है।
बसें कम, जनता परेशान
जयपुर शहर में लो फ्लोर बसें पब्लिक ट्रांसपोर्ट की रीढ़ है। शहर के बाहरी क्षेत्रों से लेकर चारदीवारी तक शहर के ज्यादातर लोगों के परिवहन का साधन लो फ्लोर बसें ही हैं। ऐसे में 508 में से ढाई बसें चलने के कारण यात्रियों को ठसाठस भरी बसों में सफर करना पड़ता है। क्योंकि बसों की संख्या कम होने के कारण दोगुने समय पर बसें मिल पा रही हैं। गर्मी के मौसम में भीड़ भरी खटारा लो फ्लोर बस में सफर करना किसी सजा से कम नहीं है। लेकिन मजबूरी में लोगों को सफर करना पड़ रहा है। सरकार सिर्फ शहरी परिवहन को बेहतर बनाने की बातें करती है।
क्या बोले जिम्मेदार—

जेसीटीएसएल के पास कुल 508 बसें थीं, इनमें से 215 तो कंडम घोषित हो चुकी है। जिन्हें चलाया नहीं जा सकता है। जबकि 40 से 50 बसें मेंटिनेंस के कारण आॅफ रोड हो जाती हैं। ढाई के करीब बसों का संचालन इस समय हो रहा है। सरकार को वस्तुस्थिति के बारे में कई बार बताया जा चुका है।
वीरेन्द्र जैन, ओएसडी, जेसीटीएसएल

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