Mata Kushmanda Ka Priy Bhog माता कूष्मांडा को बहुत पसंद हैं ये मिष्ठान्न और रंग, प्रिय फल अर्पित करने से होती हैं प्रसन्न
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि मां कूष्मांडा की विधि विधान से पूजा करना चाहिए। माता की विश्वासपूर्वक की गई पूजा से मनोवांछित फल जरूर प्राप्त होते हैं।

जयपुर. नवरात्रि में चतुर्थी के दिन कूष्मांडा माता की पूजा—अर्चना की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार मां कूष्मांडा ने ही ब्रह्माण्ड की रचना की थी। उनकी पूजा करने से यश प्राप्त होता है और मानसिक बल में वृद्धि होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि मां कूष्मांडा की विधि विधान से पूजा करना चाहिए। माता की विश्वासपूर्वक की गई पूजा से मनोवांछित फल जरूर प्राप्त होते हैं। मां कूष्मांडा के नाम का एक अर्थ कुम्हड़ा भी होता है। यही कारण है उनकी पूजा के दौरान कुम्हड़े की बलि देने की भी परंपरा है। यह सात्विक बलि है जोकि उनके समक्ष कुम्हडा अर्पित कर देने भर से ही पूरी हो जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार मां कूष्मांडा को हलवा का भोग लगाएं और यह पूरा प्रसाद वितरित कर दें। चौथी नवरात्रि के दिन मां दुर्गा को मालपुए का भोग भी लगाना चाहिए। इसके बाद पूरा प्रसाद बांट देना चाहिए। कुम्हड़े से बननेवाले पेठे माता को अति प्रिय हैं इसलिए मां कूष्मांडा को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में पेठे जरूर वितरित करना चाहिए।
मां की प्रसन्नता से निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है। इसके लिए मां को सिंदूर, धूप, अक्षत् के साथ लाल रंग के फूल अर्पित करें। संभव हो तो माता के समक्ष सफेद कुम्हड़े की बलि दें। मां कूष्मांडा को नीला, नारंगी और हरा रंग पसंद है। इन रंगों के परिधान पहनकर पूजा करें।
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