Lalita Sahasranam Strota मात्र आधा घंटा पढ़ें यह सिद्ध स्तोत्र, महज 40 दिनों में बदल जाएगा जीवन, आप स्वयं महसूस करेंगे शुभ परिणाम
ललिता सहस्रनाम स्तोत्र ब्रह्माण्ड पुराण से लिया गया है जिसमें शक्तिस्वरूपा मां ललिता के एक हज़ार नामों का उल्लेख है। इसमें श्लोकों का क्रम कुछ ऐसा सजाया गया है कि मां के मस्तक से लेकर सुन्दर चरणों तक की अद्भुत सुंदरता का अहसास करा देता है। खास बात यह है कि मां ललिता की उपासना प्रारंभ करने पर शुुरुआत में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

जयपुर। दस महाविद्याओं में से एक हैं मां त्रिपुरसुन्दरी अर्थात मां ललिता। मां काली के दो रूप कृष्णवर्णा और रक्तवर्णा में से माता ललिता, रक्तवर्णा स्वरूप हैं। मां ललिता धन—ऐश्वर्य—भोग के साथ मोक्ष की अधिष्ठात्री देवी हैं। अन्य महाविद्याओं में कोई भोग तो कोई मोक्ष में विशेष प्रभावी हैं लेकिन ललिता देवी भोग और मोक्ष समान रूप से प्रदान करती हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार जो भक्त मां ललिता देवी की पूजा भक्ति-भाव से करते हैं उन्हें देवी मां की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। ऐसे भक्तों के जीवन में हमेशा सुख—शांति —समृद्धि बनी रहती है। जीवन में भौतिक सुख भी जरूरी हैं जिनके लिए मां ललिता की कृपा प्राप्त करना आवश्यक है।
देवी पुराण में देवी ललिता का व्यापक वर्णन किया गया है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के पांचवे नवरात्र के दिन देवी ललिता की जयंती मनाई जाती है। इस दिन मां ललिता के साथ साथ स्कंदमाता और शिव शंकर की भी पूजा की जाती है। शुक्ल पक्ष के समय प्रात:काल माता ललिता की पूजा उपासना करनी चाहिए।
नवरात्रि, गुप्त नवरात्रि और ललिता जयंती पर प्राय: कुछ साधक इनकी भी पूजा करते हैं। मां ललिता की प्रसन्नता के लिए ललितासहस्रनाम स्तोत्र,ललितोपाख्यान, ललितात्रिशती का पाठ किया जाता है। इनमें ललितासहस्त्रनाम सबसे ज्यादा शुभ फलदायी है। यह पाठ 30 मिनिट में पूर्ण होता है लेकिन चमत्कारिक परिणाम देता है।
ललिता सहस्रनाम स्तोत्र ब्रह्माण्ड पुराण से लिया गया है जिसमें शक्तिस्वरूपा मां ललिता के एक हज़ार नामों का उल्लेख है। इसमें श्लोकों का क्रम कुछ ऐसा सजाया गया है कि मां के मस्तक से लेकर सुन्दर चरणों तक की अद्भुत सुंदरता का अहसास करा देता है। खास बात यह है कि मां ललिता की उपासना प्रारंभ करने पर शुुरुआत में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि मां ललिता की विधिविधान से पूजा कर यह पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव से कभी धन की कमी नहीं होगी। विशेष मनोकामना हो तो शुक्ल पक्ष के मंगलवार से इसका पाठ शुरु करें। 40 दिनों तक आस्थापूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करें। पाठ पूर्ण होने के बाद इसका शुभ प्रभाव आप खुद महसूस सकेंगे।
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