5 हजार प्रबोधकों को वरिष्ठ प्रबोधक बनाया लेकिन…
जयपुरPublished: Jun 19, 2021 01:18:45 pm
उनसे पूर्व नियुक्त किए गए 80 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति भूली सरकार
5 हजार प्रबोधकों को वरिष्ठ प्रबोधक बनाया लेकिन…
राज्य सरकार ने हाल ही में पांच हजार प्रबोधकों को वरिष्ठ प्रबोधक बनाए जाने का निर्णय लिया है। वजह बताई जा रही है कि यह बीएड योग्यताधारी हैं और सैकेंड ग्रेड में पदोन्नति के पात्र हैं साथ ही इनकी सेवा 9 साल से अधिक हो गई है, इन्हें 9 वर्ष में सेकंड ग्रेड का वेतनमान मिल रहा है इसलिए इनके पदों को अपग्रेड करने में कोई वित्तीय भार नहीं पड़ रहा है इसी आधार शिक्षा विभाग ने इन्हें पदोन्नत किए जाने की स्वीकृति मुख्यमंत्री से ली है।
इन सबके बीच राज्य सरकार थर्ड ग्रेड के उन 80 हजार शिक्षकों को भूल गई जिन्हें भी नौकरी करते हुए 9 साल से अधिक हो गए है ऐसे में यह शिक्षक भी अपने पदों को सैकेंड ग्रेड में अपडेट करने की मांग कर रहे हैं। इन शिक्षकों की नियुक्ति 1988 में की गई थी।
जूनियर को पहले पदोन्नति
इन शिक्षकों का कहना है जब सरकार द्वारा इन पैरा टीचरों को तृतीय श्रेणी में लिया गया था तो सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी लेकिन तत्कालीन सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के तहत नया पद प्रबोधक सृजित कर इनको तृतीय श्रेणी अध्यापक के समान वेतन दिया गया था। अब इन्हीं प्रबोधकों को वरिष्ठ प्रबोधक बना दिया गया है। ऐसे में अब यह 1988 से कार्यरत शिक्षकों के संस्था प्रधान बन जाएंगे जिससे शिक्षकों में बहुत ज्यादा आक्रोश है। वहीं शिक्षक संगठनों का भी मानना है अगर सरकार प्रबोधकों की वरिष्ठता थर्ड ग्रेड शिक्षकों के साथ सम्मिलित करें तो किसी भी जूनियर को पहले पदोन्नति और सीनियर को बाद में पदोन्नति मिलने के प्रकरण पैदा नहीं होंगे।
होंगे दूरगामी दुष्परिणाम
वहीं शिक्षाविदों की राय है वित्तीय आधार पर पद स्वीकृत करने का दूरगामी दुष्परिणाम भी होने की संभावना है। व्याख्याता का वेतनमान एसीपी के रूप में लेने वाले सेकंड ग्रेड अपने पद को व्याख्याता के रूप में पदोन्नत करने और हेड मास्टर सेकेंडरी स्कूल का वेतनमान ले रहे सेकंड ग्रेड अपने पद पर मास्टर में पदोन्नत करने की मांग करने लगेंगे।
यह है विभागीय नियम
वहीं विभागीय नियम यह कहता है सर प्लस रूल 1969 के तहत डेट ऑफ जॉइनिंग से जोड़ी जाती है। अगर सरकार को इन्हें वरिष्ठता देनी है तो तृतीय श्रेणी के साथ 1969 नियम के अनुपालना में इनकी वरिष्ठता जोड़ी जा सकती है। इसी प्रकार की पूर्व में लैब असिस्टेंट की इसी नियम के तहत तृतीय श्रेणी अध्यापकों के साथ वरिष्ठता जोड़ी गई थी औश्र विभाग में पूर्व में महिलाओं तथा पुरुषों की वरिष्ठता अलग अलग बनती थी और अलग ही पदोन्नति होती थी उन्हें भी इसी नियम के तहत एक सम्मिलित कर वरिष्ठता सूची बनाई गई। चित्र कला, उद्योग और संगीत वाले शिक्षकों को ऐसे ही नियम 1969 के तहत समायोजित किया गया था।