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ट्रिप्नोसोमिएसीस से बचाव के लिए किया जागरूक

locationजयपुरPublished: Jan 07, 2020 07:47:31 pm

Submitted by:

Suresh Yadav

एनआरसीसी की ओर से सर्रा (ट्रिप्नोसोमिएसीस) रोग पर एक दिवसीय ब्रेन स्टोर्मिंग मीट का आयोजन

ट्रिप्नोसोमिएसीस से बचाव के लिए किया जागरूक

ट्रिप्नोसोमिएसीस से बचाव के लिए किया जागरूक

जयपुर।
भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर में सर्रा (ट्रिप्नोसोमिएसीस) पर एक दिवसीय विचार गोष्ठी (बे्रन स्टोर्मिंग मीट) का आयोजन किया गया। ‘ ट्रिप्नोसोमिएसीस इन कैमल: पोसिबल इमरजेंस ऑफ ड्रग रिजिस्टन्स एण्ड इट्स डिटेक्शनÓ विषयक इस महत्वपूर्ण गोष्ठी में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के विषय-विशेषज्ञों ने शिरकत कीं।
कार्यक्रम के शुभारम्भ पर केन्द्र के निदेशक डॉ. आर.के.सावल ने सभी विषेषज्ञों का अभिवादन करते हुए कहा कि यह एक सुअवसर है कि केन्द्र द्वारा वातावरणीय परिदृष्य में उष्ट्र रोग (सर्रा-ट्रिपेनोसोमायासिस), इसके नियन्त्रण एवं प्रबन्धन से जुड़ी महत्वपूर्ण विषय पर बे्रन स्टोर्मिंग मीट के माध्यम से चर्चा की जा रही है। प्रदेष के विभिन्न जिलों में कम हो रही ऊंटों की जनसंख्या, ऊंट बाहुल्य क्षेत्रों में इसकी अधिक प्रबलता को देखते हुए वर्तमान परिदृष्य में ऊंटों के लिए सबसे अहम विषय-स्वास्थ्य रोगों के नियंत्रण व निदान पर गहन चर्चा परम आवश्यक है। इसे दृष्टिगत रखते हुए ही उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र इसकी रोकथाम के उपाय व पहल के लिए सतत प्रयत्नशील है।
इस अवसर पर केन्द्र की अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ.ए.सी. वाष्र्णेय ने ऊंटों में पाए जाने वाली इस प्रमुख बीमारी -सर्रा रोग के बेहतर प्रबंधन पर चर्चा करते हुए कहा कि ऊँट पालन व्यवसाय से जुड़े समुदायों यथा-राईका आदि में सर्रा रोग की उचित खुराक दवा देने संबंधी जानकारी पहुंचानी जरूरी है ताकि फील्ड स्तर पर इस रोग के निदान में प्रयुक्त दवाएं कारगर साबित हो सके। डॉ.वाष्र्णेय ने प्रयुक्त दवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने, प्रभावी दवाओं की खरीद करने आदि विभिन्न पहलुओं पर भी विषय-विषेषज्ञों का ध्यान खींचते हुए उन्हें अपने अनुभव साझा करने की अपील की। कार्यक्रम समन्वयक डॉ.एस.के. घोरूई ने विषयगत प्रस्तुतिकरण करते हुए सर्रा रोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि सर्रा रोग से ग्रसित ऊंटों में अन्य बैक्टीरिया और विषाणु के कारण रोग की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है। एक विषेष प्रकार की मक्खी द्वारा संक्रमण से उत्पन्न इस रोग से ऊंटों में मृत्युदर का बढऩा, ग्याभिन ऊँटनियों का बच्चा गिराना, पशु का दूध कम मात्रा में देना आदि समस्याएं प्रकट होती है।
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