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Electric Bus Project : China की चालाकी का Modi Goverment ने निकाला ‘Smart तोड़’, देखिए

locationजयपुरPublished: Dec 03, 2019 01:38:37 pm

Submitted by:

Pawan kumar

अब नहीं चलेगी चीन की चालाकी भारत ने तलाश लिया चालाकी का तोड़मोदी सरकार की स्मार्टनैस के आगे चीन फेल मेड इन चाइन (Made in china) पर भारी मेड इन इंडिया (Made In India) की शर्तजयपुर में इलेक्ट्रिक बस चलाने की शर्त ‘मेड इन इंडिया’

PM Narendra Modi

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जयपुर। चीन की कंपनियों (Chinese Company) ने साम, दाम दंड, भेद की नीति अपनाकर दुनियाभर में अपनी कारोबारी धाक (Business World) जमाई है। लेकिन चीन की कंपनियों को भारत में नाकामी हाथ लगी है। चीन की कंपनियों की चालाकी और कुटिल तौर तरीकों के कारण जयपुर में इलेक्ट्रिक बसें (Electric buses India) नहीं चल पाई थी। लेकिन अब भारत ने चीन की चालाकी का तोड़ निकाल लिया है। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने इलेक्ट्रिक बस संचालन के लिए मेड इन इंडिया की शर्त क्या रखी, चीन की कंपनियां मुकाबले से ही बाहर हो गईं। जयपुर में 100 इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए इलेक्ट्रिक बसों का ‘मेड इन इंडिया’ होना जरूरी है। टेंडर डॉक्यूमेंट में ये शर्त रखी गई है कि इलेक्ट्रिक बसों का वास्तविक भारतीय निर्माता हो, जिसकी मन्यूफैक्चरिंग यूनिट भारत में हो वही जयपुर में इलेक्ट्रिक बसें चला सकेगा। मोदी सरकार की इसी शर्त के आगे चीन की कंपनियों की सारी चालाकी धरी रह गई।
केन्द्र सरकार ने बनाया है डॉक्यूमेंट
जयपुर में 100 इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल अपनाया जाएगा। फेम इंडिया स्कीम फेज—2 (FAME India Scheme) के तहत केन्द्रीय भारी उद्योग विभाग और नीति आयोग ने इलेक्ट्रिक बसों के लिए मॉडल टेंडर डॉक्यूमेंट तैयार किया है। जिसमें शहरों की स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार बदलाव किया जा सकेगा। जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (जेसीटीएसएल) ने 100 इलेक्ट्रिक बसें के लिए केन्द्रीय मंत्रालय के मॉडल डॉक्यूमेंट के आधार पर कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं।
175 करोड़ की योजना, टाटा—लीलैण्ड दौड़ में
जानकारी के अनुसार जेसीटीएसएल जयपुर में 100 इलेक्ट्रिक बस चलाने के लिए 175 करोड़ रूपए खर्च करेगा। जयपुर में पीपीपी मोड पर इलेक्ट्रिक बस चलेगी। साथ ही टेंडर बिल्ट, आॅन, आॅपरेट और ट्रांसफर (बूट) सिस्टम के आधार पर दिया जाएगा। इसके लिए 25 नवम्बर को प्री बिड मीटिंग हो चुकी है। जिसमें टाटा और अशोक लीलैण्ड समेत करीब आधा दर्जन कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। जयपुर में इलेक्ट्रिक बस प्रोजेक्ट की दौड़ में भारत की दिग्गज बस निर्माता कंपनियां टाटा और लीलैण्ड भी दौड़ में है।
पहले चीन ने रोकी थी इलेक्ट्रिक बस
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने गुलाबी नगर जयपुर को 40 इलेक्ट्रिक बसों की सौगात दी, लेकिन चीन की कंपनी की चालाकी के कारण जयपुर को ये बसें नहीं मिल पाई। चीन की दो कंपनियों ने टाटा कंपनी को जयपुर में इलेक्ट्रिक बसें चलाने से रोकने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का सहारा लिया। चीन की दो कंपनियों ने जयपुर में 40 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की प्रक्रिया में तकनीकी बिड में अयोग्य घोषित होने के बाद जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (जेसीटीएसएल) की निविदा को हाइकोर्ट में चुनौती दे दी। इसके कारण जेसीटीएसएल टाटा कंपनी को इलेक्ट्रिक बसें चलाने का टेंडर दे नहीं सका। हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के कारण जेसीटीएसएल इलेक्ट्रिक बसें चलाने के कार्यादेश टाटा कंपनी को नहीं दे सका, सुनवाई लम्बी चलने के कारण निविदा की समयावधि पूरी हो गई और केन्द्र सरकार से मिलने वाला पैसा लैप्स हो गया। केन्द्र सरकार की योजना का पैसा लैप्स होते ही चीन की कंपनियों ने केस वापस ले लिया।
जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार की शहरों में इलेक्ट्रिक बस चलाने की योजना के फेज-1 में जयपुर में 40 इलेक्ट्रिक बसें चलानी थी। यह प्रोजेक्ट एशिया विकास बैंक (एडीबी) से वित्त पोषित था। प्रोजेक्ट में प्रति बस 75 लाख रूपए की राशि स्वीकृत की गई। जेसीटीएसएल ने इसके लिए ग्लोबल टेंडर कर त्रजारी किए। जेसीटीएसएल ने 40 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए वाहन निर्माता कंपनियों से प्रस्ताव मांगे। चीन की चाइना की माइत्रा फोर एनर्जी और गोल्ड स्टोन कंपनियों ने प्रस्ताव दिए। जबकि भारतीय कंपनियों में अशोक लीलेंड और टाटा ने प्रपोजल दिए। चाइनीज कंपनियों ने एक इलेक्ट्रिक बस की कीमत 1.50 करोड़ से 1.82 करोड़ रूपए बताई। वहीं, अशोक लीलेंड ने भी एक बस 1.50 करोड़ रूपए में उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव दिया। जबकि सबसे कम टाटा ने 75 लाख रूपए में बस मुहैया करवाने का प्रस्ताव दिया। सबसे कम कीमत के कारण जेसीटीएसएल ने टाटा के साथ करार कर लिया। ज्यादा कीमत और अन्य तकनीकी कारणों के चलते चाइनीज कंपनियां टेक्निकल बिड के स्तर पर ही बाहर हो गई। टेंडर नहीं मिलने से हताश चाइनीज कंपनियों ने जेसीटीएसएल के फैसले को कोर्ट में चुनौती दे दी।
ये बताई थी इलेक्ट्रिक बसों की खासियत
टाटा की 35 सीटर इलेक्ट्रिक बस एक बार में एसी के साथ 100 किलोमीटर चल सकती है। बस रिचार्ज होने में 5-6 घंटे का वक्त लगता है। बस अधिकतम 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती। इस इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल हिमाचल के परवानू से शिमला के बीच हुआ। जिसमें बस ने 160 किलोमीटर की दूरी सफलतापूवर्क पूरी कर ली। वहीं, चाइनीज कंपनी गोल्ड स्टोन ने डेढ़ करोड़ रूपए में जो बस मुहैया करवाने का प्रस्ताव दिया था, वो 26 सीटर इलेक्ट्रिक बस एक बार चार्ज करने पर 200 किमी चलती है। इसे रिचार्ज करने में 4 घंटे का समय लगता है। वहीं, लीलेंड की 35 से 65 सीटर बस एक बार चार्ज करने पर 120 किमी चलेगी। इसकी कीमत 1.50 करोड़ से 3.50 करोड़ रूपए तक थी।
क्या बोले जिम्मेदार –

जयपुर में पीपीपी मोड पर इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। इसके लिए प्री बिड मीटिंग हो चुकी है। इस बार टेंडर केन्द्रीय मंत्रालय के मॉडल डॉक्यूमेंट के आधार पर बनाया गया है। इसमें मेड इन इंडिया की शर्त जोड़ी गई है। इस बार चीन की कंपनियां कोई अड़ंगा नहीं लगा पाएंगी। जल्द ही निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
विरेन्द्र जैन, ओएसडी, जेसीटीएसएल
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