भक्त यहां मनौतियां लेकर आते है ओर भोले के दरबार से झोली भरकर ही जाते है। मंदिर से जुड़े शिव भक्तों का मानना है कि यहां भोले के दरबार में भक्तों की सच्चे मन व विश्वास से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मंदिर में प्रतिदिन पूजा-अर्चना के लिए शिव भक्तों का तांता लगा रहता है।
श्रावण मास में तो पूरे महिने मेले जैसा माहौल बना रहता है। यहां पर प्रतिवर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर मेला लगता है। मेले से आसपास के गांवों सहित अलवर, दौसा व जयपुर जिलों के दूरदराज के गांवों से हजारों की संख्या में भक्त शामिल होते है।
मेले की पूर्व रात्रि में आयोजित जागरण का उत्साह भक्तों में चरम पर रहता है। मेलार्थियों के लिए मंदिर प्रबंध समिति एवं ग्राम पंचायत प्रशासन द्वारा छाया, पानी, भोजन व प्रकाश सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं की माकूल व्यवस्था की जाती है।
पौने पांच सौ वर्ष पुराने इस मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग को लेकर लोक किवंदती है कि मंदिर के गर्भ ग्रह से छह किलोमीटर दूर अलवर-जयपुर जिले की सीमा पर स्थित प्राचीन संज्या नाथ की पहाडिय़ों में गाएं चराने गए चरवाहे लक्ष्मण मीणा को भगवान शिव ने साक्षात दर्शन देकर चरवाहे को यहां स्थित शिला से शिवलिंग प्रकट होने की बात कही तथा उस शिवलिंग को मंहगी गांव की सीमा पर प्रतिष्ठित कराने का आदेश भी दिया। जिसके सात दिन बाद शिला से शिवलिंग प्रकट हुआ।
ग्रामीण वहां से शिवलिंग को एक बैल पर रखकर मंहगी ला रहे थे। गांव की सीमा पर आते ही शिविलिंग गांव की सीमा पर स्थित सती के चबुतरे पर गिर गया। चबुतरे पर गिरे शिवलिंग को वापस उठाने के लिए ग्रामीणों ने भरसक प्रयास किया लेकिन नहीं उठा सके। जिसके बाद भक्तों ने उसकों वहीं प्रतिष्ठत मानकर उसकी पूजा-अर्चना करने लगे।
करीब 108 वर्ष तक चबुतरे पर प्रतिष्ठित रहने के बाद वहां मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर से जुड़े शिवभक्त भोले बाबा के कई चमत्कारों को गुणगान करते है जो उनकी आस्था को प्रगाढ़ करती है। देशी घी से जलाई जाती है अखण्ड ज्योत- मंदिर से जुड़े शिवभक्तों की मान्यता है कि जो मंदिर में अखण्ड ज्योत जलवाता है उसके घर में खुशियों का उजियारा रहता है।
यहां मंदिर प्रबंध समिति की ओर से मात्र 5 रुपए प्रतिमाह की दर पर ही मंदिर में देशी घी की अखण्ड ज्योत जलाई जाती है। पुजारी के अनुसार ज्योत में जलने वाला घी भक्त द्वारा दिए गए 5 रुपए से ही खरीदा जाता है जो एक माह तक जलता है। मंदिर में अखण्ड ज्योत वर्ष पर्यन्त जलती रहती है।