दरअसल, महाराष्ट्र सरकार का यह दल एक दिवसीय दौरे पर जयपुर गुरुवार को जयपुर आया था। यहां अपेक्स बैंक में आयोजित बैठक में इस दल ने राज्य की ऋण माफी योजना के बारे में अध्ययन किया। अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक इन्दर सिंह ने प्रजेंटेशन के माध्यम से योजना के क्रियान्वयन की विस्तृत जानकारी दी। दल के सदस्यों ने सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव नरेश पाल गंगवार से भी मुलाकात की।
महाराष्ट्र सरकार में सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव आभा शुक्ला, महाराष्ट्र ने राजस्थान की कृषक ऋण माफी योजना को पारदर्शी एवं प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कर वास्तविक किसानों को कम समय में लाभ पहुंचाने की भरपूर शब्दों में सराहना की। उन्होंने कहा कि ऋण माफी को पारदर्शी ढंग से लागू करना एक बड़ी उपलब्धि है। किसी किसान की शिकायत नहीं आना अपने आप में योजना के सफल क्रियान्वयन को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आधार आधारित बायोमैट्रिक सत्यापन को अपनाकर वास्तविक किसान को लाभ मिलना एक यूनिक कार्य की तरह है।
वहीं महाराष्ट्र सरकार के ही प्रमुख शासन सचिव, सूचना प्रौद्याोगिकी एसवीआर श्रीनिवास ने कहा कि लोन वेवर पोर्टल को जिस ढंग से डिजाइन किया गया है, वह अद्भूत है। नियत समय पर यह कार्य करना सरकार की पारदर्शिता एवं जवाबदेही की निशानी है।
उन्होंने कहा कि हमने अन्य राज्यों की भी ऋण माफी योजना का अध्ययन किया है। उसमे से कृषक ऋण माफी योजना का पारदर्शी एवं प्रभावी क्रियान्वयन तकनीक के साथ सरल तरीके से राजस्थान सरकार ने लागू कर एवं पारदर्शी ढंग से ऑनलाइन फसली ऋण वितरण कर वास्तविक किसानों को लाभ प्रदान किया है। वह काबिले तारीफ है। दल के अन्य सदस्यों ने भी योजना के क्रियान्वयन की सराहना की।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान सरकार द्वारा राज्य के सहकारी बैंकों से जुडे़ 20 लाख से अधिक किसानों के 30 नवम्बर, 2018 की स्थिति में लगभग 8 हजार करोड़ रूपये का फसली ऋण माफ किया है। वर्ष 2018 एवं 2019 की ऋण माफी पर वर्तमान सरकार ने किसानों को लगभग 15 हजार करोड़ रूपये की ऋण माफी प्रदान की है।
केन्द्रीय सहकारी बैंकों एवं भूमि विकास बैंकों के आर्थिक रूप से संकटग्रस्त सीमान्त एवं लघु किसानों के 30 नवम्बर, 2018 की स्थिति में 2 लाख रूपये के अवधिपार खातों के समस्त बकाया कृषि ऋण माफ कर रहन रखी भूमि को रहन मुक्त करने का भी निर्णय लिया है। जिसके कारण राज्य के लगभग 70 हजार किसानों की लगभग 4 लाख बीघा भूमि रहन मुक्त होकर किसानों के नाम पुनः दर्ज हो रही है।