पंच महापुरुष योगों में से एक माने जाने वाला शश योग जब चंद्रमा से केंद्र में शनि स्वग्रही होता है तो शश योग बनता है। यह शुभफल देने में सहायक बनाने वाला योग होता है। शनि से मिलने वाले बुरे प्रभावों को कम करने में यह योग बहुत अधिक सहायक बनता है। ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश शास्त्री के अनुसार शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या के दुष्प्रभाव कम होते हैं। शनि के प्रभाव से जातक अपने कार्य क्षेत्र में मेहनती बनता है और थोड़े से परिश्रम से ही सफलता प्राप्त हो जाती है। इस दिन शनि का साढ़े साती ( sade sati ) , ढैया, मंगल, राहू, केतु या बुध की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो शिव सहस्त्रनाम, शिव कवच व शिव पंचाक्षर का जाप कर शिव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
डूंगरपुर के ज्योतिष शास्त्री पं. करुणाशंकर जोशी ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग में पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति होगी। शनि व चंद्र मकर राशि, गुरु धनु राशि, बुध कुंभ राशि तथा शुक्र मीन राशि में रहेंगे। इससे पहले ग्रहों की यह स्थिति 1961 में बनी थी महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी है। इस योग में शिव पार्वती का पूजन श्रेष्ठ माना गया है।