——— यह मंदिर है खास
शहर का सबसे प्राचीन मूलनायक भगवान महावीर का मंदिर अपनी सुंदरता के लिए खास है। गोपाल जी का रास्ता स्थित दिगम्बर जैन मंदिर, कालाडेरा (महावीर स्वामी) पहले गोपालपाड़ा के नाम से जाना जाता था। बहुत समय पहले कालाडेरा के निहालचंद सेठी ने भूमि खरीद कर मंदिर की नींव रखी। यहां पुरानी वेदी सफेद संगरमर की बनी है। अध्यक्ष एनके सेठी के मुताबिक आमेर के एक पुराने मंदिर में दो मूर्तियां मिली। आमेर नसियां से स्वत: ही बेलगाड़ी के जरिए बिना सारथी के बेलगाड़ी यहां पहुंच गई। दो मूर्तियों को यहां विराजमान किया। नंदीश्वर द्वीप सहित कुल 21 वेदियां हैं जिनमें 164 प्रतिमाएं और 39 यंत्र विराजमान हैं। कला के बारीकी काम मंदिर की सुंदरता बनाए हुए है। तीनों द्वारों के चांदी के दरवाजों पर सोलह स्वप्न बनाए गए हैं। वेदी के दोनों ओर भगवान महावीर के पूर्व भव आठ भित्ती चित्रों में अंकित किए गए हैं, जो कि शीशे में मंढे हुए हैं।
शहर का सबसे प्राचीन मूलनायक भगवान महावीर का मंदिर अपनी सुंदरता के लिए खास है। गोपाल जी का रास्ता स्थित दिगम्बर जैन मंदिर, कालाडेरा (महावीर स्वामी) पहले गोपालपाड़ा के नाम से जाना जाता था। बहुत समय पहले कालाडेरा के निहालचंद सेठी ने भूमि खरीद कर मंदिर की नींव रखी। यहां पुरानी वेदी सफेद संगरमर की बनी है। अध्यक्ष एनके सेठी के मुताबिक आमेर के एक पुराने मंदिर में दो मूर्तियां मिली। आमेर नसियां से स्वत: ही बेलगाड़ी के जरिए बिना सारथी के बेलगाड़ी यहां पहुंच गई। दो मूर्तियों को यहां विराजमान किया। नंदीश्वर द्वीप सहित कुल 21 वेदियां हैं जिनमें 164 प्रतिमाएं और 39 यंत्र विराजमान हैं। कला के बारीकी काम मंदिर की सुंदरता बनाए हुए है। तीनों द्वारों के चांदी के दरवाजों पर सोलह स्वप्न बनाए गए हैं। वेदी के दोनों ओर भगवान महावीर के पूर्व भव आठ भित्ती चित्रों में अंकित किए गए हैं, जो कि शीशे में मंढे हुए हैं।