कांग्रेस आलाकमान अब किसी भी सूरत में पार्टी की अंदरूनी लड़ाई को सडक़ पर नहीं देखना चाहता है। यही वजह है कि जहां पायलट गुट के खिलाफ दायर एसएलपी को वापस करवाया गया है, वहीं पायलट खेमे को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तरजीह देने के निर्देश दिए हैं। यही वजह है कि चाकसू में पिछले सप्ताह हुई महापंचायत में शामिल होने के लिए विधायक वेदप्रकाश सोलंकी की ओर से मुख्यमंत्री गहलोत को निमंत्रण दिया गया। साथ ही पायलट खेमे की ओर से पहली बार महापंचायत में गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा का फोटो मंच पर लगाया गया।
पिछले साल राजस्थान के सियासी संकट के दौरान तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट व उनके समर्थक 18 विधायकों के कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं आए थे। इस पर सरकारी मुख्य सचेतक जोशी ने इसे विधायकों के पार्टी से अलग होने के समान बताते हुए संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत विधानसभा अध्यक्ष के सामने इनकी सदस्यता रद्द करने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था। विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस जारी करने को पायलट समर्थक विधायकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने इस पर बेमियादी यथास्थिति का आदेश दिया था। इसके खिलाफ महेश जोशी और विधानसभा अध्यक्ष सी.पी.जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई। महेश जोशी की एसएलपी वापस होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष की एसएलपी कोर्ट में जारी रहेगी। यह एसएलपी अध्यक्ष के नोटिस जारी करने की शक्तियों को लेकर दायर की गई है।