कोरोना काल का पहला त्योहार: धरा से आसमां तक बिखर पड़ा उल्लास
कोरोना काल के बीच मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार (Kite Festival) गुरूवार को उल्लास लेकर आया। अलसुबह से ही आसमान से धरा तक उल्लास के रंग बिखरे। दिनभर शहर छतों पर रहा, चहुंओर वो काटा... का शोर गूजता रहा। वहीं रंग-बिरंगी पतंगों में आसमान छू ने ही होड सी नजर आई। वहीं शाम होते ही आसमान में विशिप लैंप ने खुशियों की रौशनी बिखेरी। वहीं आतिशबाजी ने धरा को दिवाली सा रोशन दिया। इसबीच पचंग्रही योग के विशेष संयोग के बीच लोगों ने दिनभर दान-पुण्य किया।

कोरोना काल का पहला त्योहार: धरा से आसमां तक बिखर पड़ा उल्लास
- मकर संक्रांति का त्योहार
- शहर की छतें रही दिनभर आबाद, आसमान में पतंगों का राज
जयपुर। कोरोना काल के बीच मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार (Kite Festival) गुरूवार को उल्लास लेकर आया। अलसुबह से ही आसमान से धरा तक उल्लास के रंग बिखरे। दिनभर शहर छतों पर रहा, चहुंओर वो काटा... का शोर गूजता रहा। वहीं रंग-बिरंगी पतंगों में आसमान छू ने ही होड सी नजर आई। वहीं शाम होते ही आसमान में विशिप लैंप ने खुशियों की रौशनी बिखेरी। वहीं आतिशबाजी ने धरा को दिवाली सा रोशन दिया। इसबीच पचंग्रही योग के विशेष संयोग के बीच लोगों ने दिनभर दान-पुण्य किया। सुबह से तिल, कंबल सहित अन्य चीजों का लोगों ने दान किया। वहीं गौशालाओं में गायों को हरा चारा खिलाकर सुख समृद्धि की कामना की गई।
कोरोना का डर भूल लोगों ने दिनभर पतंगोत्सव का जमकर लुत्फ उठाया। खासकर चारदीवारी क्षेत्र में मकर संक्रांति का उल्लास देखने को मिला। परकोटे की पुरानी हवेलियों के साथ हर छत आबाद नजर आई। अलसुबह ही लोग छतों पर आ डटे और दिनभर पतंगबाजी करते रहे। आसमान सतंरगी नजर आया। सुबह हवा ने साथ दिया, लेकिन दिन बढ़ने के साथ हवा की रफतार कम हो गई, पतंग उडाने वालों को थोडी निराशा जरूर हुई, लेकिन दोपहर बाद फिर वहा ने साथ्ज्ञ दिया और आसमान में पतंगों का राज सा हो गया। छतों पर डीजे पर बजते फिल्मी और राजस्थानी गानों की धुनों के बीच पतंगें भी ठुमकती नजर आई। वो काटा... की आवाज के बीच लोग पतंगें भी लूटते नजर आए। युवाओं से लेकर बुजुर्गों में पतंगबाजी को लेकर उत्साह चरम पर रहा। छोटे बच्चों ने कोरोना से जुडे़ कई संदेश और कार्टूनों की पतंगें उड़ाई, वहीं बडे़ लोग एक दूसरे से पेच लड़ाने में मशगूल दिखे। इस बीच छतों पर ही दिनभर चाय-नाश्ता और भोजन का दौर चलता रहा। चारदीवारी के अलावा मानसरोवर, मालवीयनगर, प्रतापनगर, वैशालीनगर, विद्याधरनगर, राजापार्क सहित सभी बाहरी कॉलोनियों में लोग दिनभर पतंगबाजी करते रहे।
दिवाली सा रोशन हुआ शहर
इस बार लोग दिवाली पर भले ही आतिशबाजी नहीं कर पाए, लेकिन सरकार की थोडी ढिलाई मिलते ही मकर संक्रंाति पर दिवाली सी आतिशबाजी का उल्लास नजर आया। शाम होते ही लोगों ने आतिशबाजी कर पतंगोत्सव की खुशियां बिखेरी, वहीं विशिंप लैंप छोड़कर आसमान में उल्लास भरा।
गोविंद ने उड़ाई सोने की पतंग, राधाजी ने थामी चांदी की चरखी
जयपुर। मकर संक्रांति पर गुरूवार को शहर के मंदिरों में विशेष झांकियां सजाई गई। ठाकुरजी भी पतंग उड़ाते नजर आए। शहर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में पतंगों की विशेष झांकी सजाई गई। वहीं पुरानी बस्ती स्थित राधा गोपीनाथजी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में ठाकुरजी के समक्ष पतंगों की झांकी सजाई गई।
दिनभर दान-पुण्य, गायों को खिलाया हरा चारा
जयपुर। मकर संक्रांति पर सूर्योदय से ही दान-पुण्य का दौर शुरू हुआ, लोगों ने सुबह से ही गरीबों को वस्त, तिल के व्यंजन, मिठाई, गुड़, फीणी सहित अन्य वस्तुओं का दान किया, वहीं गायों को हरा चारा खिलाया गया। मंदिरों के बाहर लोगों ने दान-पुण्य किया। इसके साथ ही मंदिरों मे दर्शन करने भी लोग पहुंचे। शहर की गोशालाओं में गौपूजन किया गया, वहीं गायों को हरा चारा खिलाने के लिए बड़ी संख्यां में भक्त पहुंचे।
अब पाइए अपने शहर ( Jaipur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज