ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र में संक्रांति बाघ पर सवार होकर धोबी के घर पर प्रवेश करेगी। इससे पशुपालकों और डेयरी उत्पादकों के लिए आगामी समय प्रगतिकारक रहेगा। साथ ही विज्ञान के क्षेत्र और बाजार में तेजी का दौर, शत्रुओं का नाशा और बाधाएं समाप्त होगी। सभी राशि के जातकों को सूर्यदेव को जल अर्पित कर सात बार सूर्य नमस्कर करना फायदेमंद रहेगा।
गदा शस्त्र लेकर होगा संक्रांति का प्रवेश
शर्मा ने बताया कि इस दिन खासतौर पर मकर राशि के स्वामी शनि की प्रिय वस्तुओं का दान गजक, रेवडी, तिल, कंबल, रजाई का दान विशेष महत्व है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से बुध, शनि के संयोग से त्रिग्रही संयोग बनेगा। 118 साल यानि 1904 बाद त्रिग्रही संयोग बनेगा। सिंह, मेष, वृश्चिक, मीन राशि के लिए विशेष प्रगतिकारक, मिथुन, तुला और कुंभ राशि के जातकों को सामान्य और वृषभ, कर्क, कन्या, मकर धनु राशि के जातकों को मध्यम फल मिलेगा। ज्योतिषाचार्य पं. घनश्यामलाल स्वर्णकार ने बताया कि संक्रांति के प्रवेश के समय संक्रांति शरीर पर कुमकुम का लेप लगाकर पीले रंग के वस्त्र, चमेली पुष्प की माला धारण कर हाथ में गदा का शस्त्र लेकर चांदी के बर्तन में खीर का भोजन करती हुई बैठी हुई स्थिति में कुमारी अवस्था में दिन के द्वितीय भाग में प्रवेश करेगी।
होगी शुभ कार्यों की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि पानी में गंगाजल, तिल या गुड़ मिलाकर स्नान करें। उं सूर्याय नम: सहित सूर्य उपासना के मंत्रों का उच्चारण करते हुए सूर्यदेव को अघ्र्य दें। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही शुभ-मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। दिनभर दान पुण्य का विशेष महत्व रहेगा। पं. आचार्य गौरीशंकर शर्मा, पं. राजेंद्र शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। तिल, गुड़ और खिचड़ी का सेवन करें। गौशाला में गायों को हरा चारा खिलाने, असहाय व्यक्ति की सेवा का विशेष फल मिलेगा। इस दिन शनि देव और सूर्य का मिलन हुआ था।