अखिलेश चाहते थे शिवपाल सिंह यादव को पार्टी में राष्ट्रीय भूमिका दी जाए और अमर सिंह को बाहर कर दिया जाए। नेताजी इस कीमत पर समझौते को राजी नहीं हुए।
लखनऊ/नई दिल्ली. समाजवादी पार्टी में मचा घमासान फिर से शांत होने की बात कही जा रही थी। पर सूत्रों के मुताबिक़ पिता-पुत्र की घंटों चली मैराथन बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल पाया। अखिलेश यादव प्रदेश अध्यक्ष पद से शिवपाल को हटाने और अमर सिंह की पार्टी से बर्खास्तगी पर अड़े हुए थे। मुलायम सिंह यादव इस बात को मानने के लिए राजी नहीं हुए। माना जा रहा है कि अब दोनों खेमें अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। उधर, रामगोपाल यादव ने भी सुलह के किसी प्रयास को खारिज करते साफ़ किया कि “हम अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी सिम्बल साइकिल पर कोई फैसला चुनाव आयोग करेगा।
इससे पहले कुछ रिपोर्ट्स में एक फ़ॉर्मूले पर दोनों खेमों के सहमति की बात की जा रही थी। अखिलेश यादव मंगलवार दोपहर मुलायम से मिलने पहुंचे। बंद कमरों में दोनों ने करीब 4 घंटे तक मीटिंग की। सूत्रों के मुताबिक़ दोनों एक समझौते के फ़ॉर्मूला पर सहमत होते भी नजर आए। फ़ॉर्मूला के तहत मुलायम को राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहने का प्रस्ताव था। इसके बदले अखिलेश टिकटों के बंटवारे पर एकाधिकार चाहते थे और फिर से यूपी का प्रदेश अध्यक्ष पद पाना चाहते थे। सूत्रों के मुताबिक़ अखिलेश चाहते थे शिवपाल सिंह यादव को पार्टी में राष्ट्रीय भूमिका दी जाए और अमर सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया जाए। नेताजी शिवपाल और अमर सिंह की कीमत पर समझौते को राजी नहीं हुए।
अखिलेश खेमा पहुंचा चुनाव आयोग
उधर, मंगलवार को अखिलेश खेमा की ओर से रामगोपाल यादव इलेक्शन कमीशन पहुंचे और पार्टी सिम्बल साइकिल पर हक़ जताया। उन्होंने आयोग को जानकारी दी कि 90 प्रतिशत विधायक अखिलेश के साथ हैं और पार्टी में कार्यकर्ता और पदाधिकारियों का बहुमत भी उनके साथ हैं। Patrika.com अपने रीडर्स को चार महीने से अब तक हुए सभी बड़े अपडेट की जानकारी दे रहा है।
पढ़िए: चार महीने से अबतक के सभी बड़े अपडेट
2 जनवरी : समाजवादी पार्टी की अधिवेशन कैंसल की गई। चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावा जताने मुलाय सिंह यादव, शिवपाल, अम्बिका प्रसाद, जयाप्रदा और अमर सिंह दिल्ली में चुनाव आयोग पहुंचे। पूर्व चुनाव आयुक्त कुरैशी ने बयान दिया कि सपा का चुनाव चिन्ह फ्रीज किया जा सकता है।
1 जनवरी : रामगोपाल और अखिलेश अधिवेशन में पहुंचे। मुलायम को पार्टी चीफ, शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया। अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और नरेश उत्तम को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की घोषणा। अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित किया गया। मुलायम ने अधिवेशन को अवैध करार दिया। रामगोपाल, किरणमय नंदा और नरेश अग्रवाल को मुलायम ने निष्कासित किया। शाम को अखिलेश समर्थकों का पार्टी दफ्तर पर कब्जा। शिवपाल का नेमप्लेट हटाया। मुलायम सिंह की तबियत बिगड़ी। डॉक्टरों ने घर पहुंचकर चेकअप किया। शिवपाल मुलायम से मिलने देर रात घर पहुंचे।
31 दिसंबर : मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल यादव का संस्पेशन कैंसल। शिवपाल ने ट्वीट कर दी जानकारी।
30 दिसंबर : मुलायम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- किसी भी कीमत पर पार्टी बचाएंगे। राम गोपाल और अखिलेश को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया। राम गोपाल ने पार्टी प्रतिनिधि सभा की आपात मीटिंग बुलाई। कहा – समझौता नहीं अखिलेश की लिस्ट अंतिम।
28 दिसंबर : सपा ने 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। अतीक अहमद, अमरमणि त्रिपाठी और मुख्तार अंसारी के भाई नाम, पर अखिलेश समर्थक मंत्रियों विधायकों का टिकट काटा। नाराज अखिलेश ने शिवपाल के करीबी मंत्रीपद का दर्जा प्राप्त शुक्ला दंपत्ति को हटाया।
28 दिसंबर : मुलायम ने 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। अखिलेश के समर्थक मंत्री विधायकों के टिकट कटे। नाराज अखिलेश ने पिटा और चाचा शिवपाल के साथ घंटे भर मीटिंग की। बगावती तेवर।
29 दिसंबर : अखिलेश ने समर्थक विधायक और मंत्रियों के साथ मीटिंग की। शाम को उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की 235 कैंडिडेट्स के नाम। अतीक अहमद और मुलायम की छोटी बहू लिस्ट में नहीं।
25 दिसंबर : मुलायाम ने गायत्री प्रजापति को पार्टी का महासचिव बनाया। गायत्री को अखिलेश ने कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था।
8 नवंबर : सपा की एकजुट होने की मुहिम। अखिलेश-शिवपाल साथ मंच पर आए। अखिलेश ने शिवपाल के पैर छुए।
24 अक्टूबर : सपा दफ्तर में एक प्रोग्राम के दौरान मुलायम के समाने ही अखिलेश और शिवपाल में माइक की छीना-झपटी।
23 अक्टूबर : शिवपाल समेत 9 मंत्रियों को अखिलेश ने बर्खास्त किया। गायत्री प्रजापति का भी नाम। साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक के करीबी।
15 अक्टूबर : अखिलेश के समर्थन में रामगोपाल ने मुलायम को पत्र लिखा। इशारों में शिवपाल और अमर सिंह पर हमला।
11 अक्टूबर : जेपी की जयंती के मौके पर यूपी सरकार के कार्यक्रम में मुलायम और अखिलेश के बीच खींचतान।
7 अक्टूबर : अखिलेश पत्नी के साथ नए घर में गए। गृह प्रवेश कार्यक्रम में शिवपाल और मुलायम भी मौजूद।
6 अक्टूबर : शिवपाल ने प्रदेश कार्यकारिणी से अखिलेश समर्थक नेताओं को हटाया। बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौके एकता दल का सपा में विलय की घोषणा भी की।
3 अक्टूबर : पहली लिस्ट में शिवपाल ने अखिलेश समर्थक अतुल प्रधान का टिकट काटा।
26 सितंबर : गायत्री प्रजापति समेत कई मंत्रियों ने अखिलेश कैबिनेट में दोबारा शपथ ली।
18 सितंबर : अखिलेश ने शिवापाल ने बयान जारी किया। कहा- जो गुटबाजी करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
16 सितंबर : मुलायम सामने आए और कहा कि पार्टी और परिवार में फूट नहींपड़ने देंगे।
15 सितंबर : शिवापाल का कैबिनेट और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा। सपा में अंदरुनी घमासान तेज।
13 सितंबर : मुलायम ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। सीएम ने शिवपाल के विभाग छीने। चीफ सेक्रेटरी दीपक सिंघल को अखिलेश ने हटाया।