जयपुर

‘मेकिंग इट हैप्पन’ सुधारेगा जिलों के हालात

लेकिन अखिल भारतीय महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ ने उठाया सवाल

जयपुरJun 23, 2018 / 11:51 am

Teena Bairagi

‘मेकिंग इट हैप्पन’ सुधारेगा जिलों के हालात

—संघ ने कहा, वर्तमान योजनाओं का संचालन ही बेहतर नहीं कैसे सुधरेंगे हालात
—विभाग ने मांगे थे सुझाव
—संघ ने कहा, पहले वर्तमान योजनाओं को दें गति
जयपुर
हर साल करोड़ों रुपए खर्च करके राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं का संचालन तो करती है। लेकिन फिर भी इनका बेहतर क्रियान्वयन लक्ष्य से दूर ही रहता है। इसे बेहतर बनाने के मकसद से ही सरकार ने पिछले दिनों ‘मैकिंग इट हैप्पन’ की शुरुआत करते हुए टाटा ट्रस्ट के साथ एमओयू किया था। जिसका मकसद सीधे तौर पर सरकार की योजनाओं को मजबूती देना है। लेकिन एक और जहां आंगनबाड़ी वर्कर अपने मानदेय को लेकर लड़ रही है, स्वयं सहायता समूहों को पोषाहार बनाने का पैसा नहीं मिल रहा, आंगनबाड़ी केंद्रों को पूरी तरह से स्कूलों में मर्ज नहीं किया जा सका ऐसे में सवाल उठता है कि ये नई पहल कारगर होगी या फिर ठंडे बस्ते में ही चली जाएगी।
 

अखिल भारतीय महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ ने भी विभाग को वर्तमान योजनाओं पर फोकस करने पर चिट्टी लिखी है। संघ प्रभारी छोटलाल बुनकर ने विभाग को सुझाव भेजा है। पांच जिलों का चयन करना ठीक है। लेकिन लंबे समय से जिन योजनाओं के बेहतर करने की बात कही जा रही है सरकार को पहले उन पर फोकस करने की जरुरत है।
मानदेय कर्मियों का समय पर वेतन देकर, पोषाहार बनाने वाले स्वयं सहायता समूहों को फिक्स राशि देकर, रिक्त पदों को भरकर, आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत सुधार कर उन्हें बाल सुलभ बनाकर ही योजनाएं प्रभावी होगी। हालांकि विभाग ने इसकी शुरुआत होने से अलवर, धौलपुर, दौसा, करौली व टोंक जिलें में चलाई जा रही सेवाओं को गति मिलने का दावा किया है।
 

ये है ‘मेकिंग इट हैप्पन’—
मंत्री अनिता भदेल ने योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए ‘मैकिंग इट हैप्पन’ की शुरुआत पिछले महीने की थी। टाटा ट्रस्ट और महिला बाल विकास विभाग के बीच इस संबंध में समझौता हुआ था। इसके तहत आओ सुनिश्चित करें नाम से योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा।

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