रिटायरमेंट प्लानिंग में यह भी करें शामिल
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए वैसे तो बहुत से विकल्प हैं, लेकिन पहले सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान और बाद में सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। ये म्यूचुअल फंड में पहले मंथली बेसिस पर निवेश और बाद में एक तय रकम रेगुलर इंटरवल में निकासी का प्लान है। इसमें आपको म्यूचुअल फंड में मिलने वाले हाई रिटर्न का फायदा बड़ा कॉर्पस बनाने में मिलेगा, जिसके बाद आप रेगुलर इंटरवल पर बड़ी रकम निकाल सकेंगे। हम यहां आपको बता रहे हैं कि किस तरह से 20 साल तक हर महीने 15 हजार रुपए की मंथली एसआईपी करने पर अगले 20 साल तक आप हर महीने अपने लिए 1 लाख रुपए पेंशन का इंतजाम कर सकते हैं।
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए वैसे तो बहुत से विकल्प हैं, लेकिन पहले सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान और बाद में सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। ये म्यूचुअल फंड में पहले मंथली बेसिस पर निवेश और बाद में एक तय रकम रेगुलर इंटरवल में निकासी का प्लान है। इसमें आपको म्यूचुअल फंड में मिलने वाले हाई रिटर्न का फायदा बड़ा कॉर्पस बनाने में मिलेगा, जिसके बाद आप रेगुलर इंटरवल पर बड़ी रकम निकाल सकेंगे। हम यहां आपको बता रहे हैं कि किस तरह से 20 साल तक हर महीने 15 हजार रुपए की मंथली एसआईपी करने पर अगले 20 साल तक आप हर महीने अपने लिए 1 लाख रुपए पेंशन का इंतजाम कर सकते हैं।
कम लागत और काफी रेगुलेटेड निवेश
इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम और यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान जैसी योजनाओं में फंड मैनेजमेंट शुल्क कहीं भी 1 फीसदी से 2 फीसदी तक होता है, जबकि इसकी तुलना में एनपीएस फीस एसेट अंडर मैनेजमेंट का 0.01 फीसदी है। इसके अलावा, नियामक एजेंसी पीएफआरडीए एनपीएस को सक्रिय रूप से नियंत्रित और मॉनिटर करती है। इसका मतलब यह है कि आपके अधिकारों और हितों की हर समय रक्षा की जाती है।
इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम और यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान जैसी योजनाओं में फंड मैनेजमेंट शुल्क कहीं भी 1 फीसदी से 2 फीसदी तक होता है, जबकि इसकी तुलना में एनपीएस फीस एसेट अंडर मैनेजमेंट का 0.01 फीसदी है। इसके अलावा, नियामक एजेंसी पीएफआरडीए एनपीएस को सक्रिय रूप से नियंत्रित और मॉनिटर करती है। इसका मतलब यह है कि आपके अधिकारों और हितों की हर समय रक्षा की जाती है।