अधिक मास की अमावस्या तीन सालों में एक बार आती है इसलिए इस अमावस्या का महत्व बहुत बढ़ गया है. ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस अमावस्या को विधिविधान से पूजा—पाठ और दान करने से दुख—कष्ट कम होते हैं और सुख प्राप्त होने लगते है। मान्यता है कि अमावस्या पर वाद—विवाद, अशांति आदि से हर हाल में बचना चाहिए।
पुरूषोत्तम मास अमावस्या इस बार शुक्रवार को आई है. शुक्रवार और पुरूषोत्तम मास अमावस्या का यह संयोग लक्ष्मीनारायण की कृपा प्राप्ति का दिन बन गया है. ज्ञातव्य है कि अधिक मास विष्णुजी का प्रिय मास है और शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का प्रिय दिन है। अमावस्या तिथि विष्णुजी के आराध्य शिवजी की पूजा के लिए जानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार अधिक मास की इस अंतिम तिथि पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप कर रुद्राभिषेक करें। इसके साथ ही विष्णुजी और लक्ष्मीजी की विधिपूर्वक पूजा करें। आज श्रीसूक्त का पाठ करें और पुरुषसूक्त या विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र का भी पाठ करें। इस पूजा का त्वरित फल प्राप्त होगा।