वैवाहिक जीवन में सुख शांति और संतान पक्ष से प्रसन्नता प्राप्ति के लिए बृहस्पति देव को कारक माना जाता है। किन्तु सूर्य जब मीन या धनु राशि में प्रवेश कर जाता है तब वृहस्पति की स्थिति कमजोर हो जाती है। यही कारण है कि एक माह तक सभी मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। मलमास को अधिक मास भी कहा जाता है। 14 दिसंबर को गुरु पश्चिम दिशा में अस्त होंगे। 9 जनवरी को गुरु फिर पूर्व दिशा में उदय होंगे।
14 जनवरी तक नहीं बजेंगी शहनाई मलमास 14 जनवरी को रात 2 बजे तक रहेगा। नए साल में 15 जनवरी से फिर से शुभ कार्य शुरू होंगे। सूर्य के मकर राशि में जाने के बाद एक बार फिर शुभ कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। न्याय के देवता का प्रतिनिधित्व करने वाले शनिग्रह नए साल की शुरुआत में अपनी चाल बदलेंगे।
यह है वैज्ञानिक आधार गौड़ ने बताया कि खरमास का वैज्ञानिक आधार है। सूर्य की तरह गुरु ग्रह भी हाइड्रोजन और हीलियम की उपस्थिति से बना हुआ है। जब सौर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के जरिए बृहस्पति के कण काफी मात्रा में पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचते हैं। जो एक दूसरे की राशि में आकर अपनी किरणों को आंदोलित करते हैं। इसी वजह से धनु व मीन राशि के सूर्य को खरमास मलमास कहा जाता है।