याचिका में लिव इन रिलेशनशिप को शादी के समान ही बताते हुए सात मई को होने वाली युवक की शादी को पुनर्विवाह बताया गया है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने इस मामले में सुनवाई की। प्रार्थीपक्ष के अधिवक्ता वेदपाल शास्त्री ने कोर्ट को बताया कि झुंझुनूं जिले के घंडावा गांव के बलराम जाखड़ ने प्रार्थिया को शादी का भरोसा दिलाया। इस कारण प्रार्थिया ने पहले पति से तलाक ले लिया। याचिका में आरोप लगाया है कि फरवरी 2018 में जयपुर में सदर थाने में प्रार्थिया ने इस युवक के खिलाफ एफआइआर कराई, लेकिन शादी का आश्वासन मिलने पर प्रार्थिया ने कार्रवाई नहीं चाहने का बयान दिया और कोर्ट ने एफआर मंजूर कर ली। इस बीच युवक आयकर विभाग में निरीक्षक नियुक्त हो गया और 7 मई को अन्य युवती से शादी करने जा रहा है। याचिका में कहा कि लिव इन रिलेशनशिप के दौरान प्रार्थिया व युवक पति—पत्नी की तरह रहे और देश में इसे शादी के समान माना जाता है। याचिका में सात मई को होने जा रही शादी को पुनर्विवाह बताते हुए रोकने का आग्रह किया गया था।