वाक्पीठ संगोष्ठी सचिव जगदीष मीणा ने बताया कि इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी महेश चंद्र गुप्ता ने भी संगोष्ठी की थीम पर अपने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी के प्रथम दिन के प्रथम सत्र में मणिपाल विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार प्रो. वंदना सुहाग ने मणिपाल विश्वविद्यालय के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रो-प्रेसिडेंट, प्रो. एन. एन.शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इसी क्रम में शाला दर्पण प्रभारी देवेंद्र जोषी ने शाला दर्षन चुनौतियां एवं समाधान एवं जिला रैंकिंग पर, रेणु तंवर ने बोर्ड परीक्षा तैयारी एवं श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम तथा विद्या रैंकिंग पर अपने विचार व्यक्त किए।
द्वितीय सत्र में लीगल अतिरिक्त जिलाशिक्षा अधिकारी विष्णु गुप्ता ने विभागीय जांच प्रक्रिया एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही पर अपने विचार व्यक्त किए। द्वितीय सत्र में प्रधानाचार्य निमोडिया, ओम प्रकाश विजय ने 80 जी की कार्यवाही, अति. लि. षि. अ. चौथमल मीणा ने ज्ञान संकल्प पोर्टल एवं मुख्यमंत्री विद्यादान कोष, एडीपीसी रमसा, बहाुदर सिंह ने रमसा की विभिन्न योजनाओं का विद्यालय में उपयोग, प्रधानाचार्य श्रीरामकी नांगल, जगदीश नारायण मीणा ने भामाशाह में जनसहयोग कैसे लिया जाए पर अपने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी के प्रथम दिन विद्यालय में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कैसे करें, विद्यालय योजना का प्रभावी क्रियान्वन, नामांकन वृद्धि हेतु नवीनतम प्रयोग, विद्यालय में पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन, बोर्ड परीक्षा परिणाम उन्नयन कैसे हो, विद्यालय में विभिन्न प्रकार की कमेटियों का गठन एवं उपयोग, सूचना का अधिकार एवं अवकाश नियम मय सीसीएल पर समूह चर्चा की गई। संगोष्ठी में 428 संस्थाप्रधान भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री वासुदेव देवननी के ओएसडी विष्णु दत्त स्वामी ने संस्था प्रधानों से सफल प्रशासन पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी का समापन 27 जुलाई को किया जाएगा। कार्यक्रम में डीन, फेकल्टी ऑफ आर्ट एंड लॉ, प्रो. मृदुल श्रीवास्तव, डायरेक्टर एडमिशन, प्रो. रिचा अरोड़ा भी मौजूद थे। कार्यक्रम के आरंभ में विश्वविद्यालय के प्रो-प्रेसिडेंट, प्रो. एन. एन.शर्मा, रजिस्ट्रार, प्रो. वंदना सुहाग एवं अन्य ने अतिथियों का बुके देकर स्वागत किया गया एवं कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह वितरित कर आभार जताया।