भटनागर के पड़ोस में रहने वाले आइएएस आरसी मीणा के बेटे भरत ने बताया कि उनके घर में छत सीढिय़ा उतरकर लुटेरे नीचे आ गए थे। आगे की तरफ वाला गेट बंद था और नीचे पीछे की तरफ जाने वाला गेट खुला था। लुटेरे उस गेट से पीछे पहुंचे। वहां खिड़की की ग्रिल तोडऩे का प्रयास कर रहे थे। आपस में वे धीरे-धीरे बात कर रहे थे। ग्रिल तोडऩे का प्रयास करते समय खटपट की आवाज सुन आंख खुली। खिड़की में दो लोग चेहरे पर नकाब पहने हुए नजर आए। मुंह से जोर से आवाज निकली। कौन है, वहां कौन है, तभी उनको दीवार फांदते देखा। भाई नवल भी जाग गया। पड़ोसी भी जाग गए।
पुलिस आ गई, लेकिन पुलिस ने इधर-उधर देखा और कहा कि भाग गए। अब कोई नहीं है। भरत ने बताया कि पुलिस को पड़ोसी ने पास के सूने मकान में भी छिपे होने की आशंका जताई। लेकिन भाग जाने का हवाला दे पुलिस लौट गई। जबकि लुटेरे खाली मकान में बैठ शराब पी थी। उसके बाद रात तीन बजे सड़क पर कुत्ते भौंक रहे थे। पूरी रात नींद नहीं आई। हल्की आहट होने पर डर लगने लगता। भरत ने कहा कि अभी भी रात को दो नकाबपोश को देखने का दृश्य याद आते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जब तक वो पकड़े नहीं जाएंगे। रात को नींद नहीं आएगी।
रात नहीं, दिन में भी पर्दे और ताला लगाया मानसरोवर रेणुपथ पर सबसे पहले लुटेरे सीमा कुलदीप इंदौरा के बंगले के बगल वाले खाली मकान में घुसे थे। सीमा का कहना है कि अब तो दिन में भी डर लग रहा है। घर के सभी खिड़की दरवाजों के पर्दे लगा दिए हैं। बाहर से कोई अंदर नजर नहीं आ सके। मुख्य दरवाजे पर भी ताला लगाने लगे गए हैं।