लेकिन ऐसा नहीं है कि किसी नेता के समर्थन में इतने सारे विधायकों ने अपने ही आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इस्तीफे सौंपे हों। इससे पहले वर्ष 2012 के दौरान भाजपा के 79 विधायकों में से करीब 63 विधायकों ने अपनी नेता वसुंधरा राजे के समर्थन में एक साथ विधायक पद से इस्तीफे सौंप दिए थे। यही नहीं, चार पूर्व सांसदों और डेढ़ दर्जन पूर्व विधायकों ने भी वसुंधरा से मुलाकात कर उन्हें पार्टी से अपने इस्तीफे सौंपे थे।आलाकमान को चुनौती देती तब भी लगभग आज जैसी ही स्थितियां बनी थीं, जिसने प्रदेश की सियासत में खलबली मचा डाली थी।
वसुंधरा राजे के समर्थन में विधायकों के इस्तीफे की नौबत हालांकि तब आई थी, जब राजे पूर्व मुख्यमंत्री थीं और प्रदेश में गहलोत सरकार ही थी। उस समय प्रदेश भाजपा में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर अंदरूनी खींचतान विधायकों के सामूहिक इस्तीफे की वजह बनी थी।
कटारिया की यात्रा से पड़ी थी अंदरूनी फूट
वसुंधरा राजे और समर्थक विधायकों के इस्तीफे की नौबत पार्टी के वरिष्ठ नेता और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया की राज्य में प्रस्तावित रही ‘लोक जागरण यात्रा’ के बाद आई थी। तब वसुंधरा और उनके खेमे के विधायकों इस यात्रा पर कड़ी आपत्ति जताई थी। नेताओं ने पार्टी छोड़ने तक की धमकी दे डाली थी।
दरअसल, तब माना ये जा रहा था कि कटारिया अपनी इस यात्रा के जरिए खुद को पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश करना चाहते हैं। जबकि राजे समर्थकों ने राज्य में अगले ही साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने को लेकर एकमत थे। हालांकि इस विवाद को बढ़ता देख कटारिया ने बाद में अपनी यात्रा को रद्द करने का फैसला लिया था।
फिर शुरू हुआ था ”डैमेज कंट्रोल”
राजस्थान भाजपा में वर्ष 2012 के दौरान खुलकर सामने आई गुटबाज़ी ने आलाकमान को हिलाकर रख दिया था, जिसके बाद आलाकमान ने स्थितयां संभालने के लिए युद्ध स्तर पर ”डैमेज कंट्रोल” की मुहीम शुरू की थी। बगावत पर उतरीं वसुंधरा राजे को मनाने के लिए वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से लेकर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी और अरुण जेटली सरीखे वरिष्ठ नेताओं ने खूब कोशिश की थी।
वसुंधरा विरोधी खेमा हुआ था सक्रीय
एक तरफ वसुंधरा समर्थित विधायकों और अन्य नेताओं ने मोर्चा खोला हुआ था, वहीं भाजपा में भी राजे विरोधी खेमा सक्रीय दिख रहा था। तब प्रतिद्वंद्वी गुट की वरिष्ठ नेता रामदास अग्रवाल के आवास पर बैठक हुई थी, जिसमें तब के प्रदेश अध्यक्ष रहे अरुण चतुर्वेदी के अलावा राज्य विधानसभा में विधायक दल के उप नेता रहे घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललित किशोर चतुर्वेदी और खुद गुलाब चंद कटारिया मौजूद रहे। इन नेताओं ने एक सुर में आरोप लगाया था कि वसुंधरा राजे और उनके समर्थित विधायक अनुशासनहीनता कर रहे हैं।