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धड़ों में बंटी कांग्रेस को क्या एकजुट कर पाएंगे अजय माकन?

locationजयपुरPublished: Sep 04, 2020 10:13:56 am

Submitted by:

firoz shaifi

प्रदेश के संभागों में भी धड़ों में बंटी हुई है कांग्रेस , संभागों के फीडबैक कार्यक्रम में नजर आ सकती है गुटबाजी, 8 सितंबर को जयपुर संभाग और 9 सितंबर को अजमेर संभाग का फीडबैक कार्यक्रम

ajay makn

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फिरोज सैफी/जयपुर।

राज्य में प्रदेश कांग्रेस ही नहीं बल्कि जिलों में भी कांग्रेस धड़ों में बंटी हुई है जिसे दूर करना पाना प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी अजय माकन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

हालांकि प्रदेश कांग्रेस में के नव नियुक्त प्रदेश प्रभारी अजय माकन के लिए राजस्थान नया नहीं है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में वे स्क्रीनिंग कमेटी के मेंबर रह चुके हैं तो बीते माह सरकार के पर आए सियासी संकट के दौरान वे जयपुर से लेकर जैसलमेर तक विधायकों की बाड़ाबंदी के दौरान उनके साथ रहे, जिससे वे कम समय में राजस्थान की राजनीति को समझ चुके हैं, लेकिन वे जिलों के नेताओं से अभी तक नहीं मिल पाए हैं, ऐसे में संभागों के फीडबैक कार्यक्रमों के दौरान जिलों में फैली गुटबाजी उनके सामने आ सकती है।

राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में कई गुट बने हुए हैं। इनमें एक गुट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है, दूसरा गुट पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का है, तीसरा गुट विधानसभा स्पीकर सी.पी जोशी है तो चौथा गुट पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी का है तो पांचवा गुट पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह का है। ऐसे में सातों संभागों में होने वाले फीडबैक कार्यक्रमों में अलग-अलग गुट नजर आ सकते हैं।

 

सबसे पहले जयपुर संभाग की बात करतें हैं, 8 सितंबर को फीडबैक कार्यक्रमों की शुरुआत जयपुर संभाग से ही होनी है।

 

जयपुर शहर
जयपुर शहर कांग्रेस पर वर्तमान में अशोक गहलोत खेमे की पकड़ हैं। शहर कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी है। इस खेमे के लिए राहत की बात ये है कि परिवहन मंत्री और शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास भी अब गहलोत कैंप में हैं, पहले ये पायलट खेमे के नेता माने जाते थे। यहां गहलोत कैंप के महेश जोशी बेहद प्रभावी हैं। इसके अलावा अर्चना शर्मा, ज्योति खंडेलवाल, विधायक रफीक खान, अमीन कागजी और गंगादेवी भी गहलोत कैंप के ही हैं।


जयपुर देहात
जयपुर देहात में गहलोत-पायलट कैंप के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का कैंप भी है। जोशी कैंप की कमान अब कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के पास है, जो गहलोत-जोशी खेमे के प्रमुख रणनीतिकारों में शुमार में हैं। वहीं जयपुर देहात के पूर्व अध्यक्ष और राज्यमंत्री राजेंद्र यादव भी गहलोत कैंप से हैं। वहीं विधायक इंद्राज गुर्जर वेदप्रकाश सोलंकी ,प्रशांत शर्मा पायलट कैंप के प्रमुख रणनीतिकार हैं।


सीकर जिला कांग्रेस
शेखावाटी की राजनीति का गढ़ माने जाने वाले सीकर जिले में गुटबाजी चरम पर हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी सीकर जिले से ही आते हैं। डोटासरा गहलोत कैंप से आते हैं। हालांकि डोटासरा को यहां पायलट कैंप के नेताओं से कड़ी चुनौती मिलती रही है। उनके स्वागत कार्यक्रम में जिले के सभी विधायकों और बड़े नेताओं ने दूरी बना ली थी। हालांकि यहां वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया, राजेंद्र पारीक और विधायक हाकम भी गहलोत कैंप से हैं, लेकिन परसराम मोरदिया, राजेंद्र पारीक की डोटासरा से अदावत छिपी नहीं है। सीकर जिले में पायलट कैंप का भी मजबूत धड़ा है। पूर्व विधानसभा स्पीकर दीपेन्द्र सिंह शेखावत और सुरेश मोदी पायलट कैंप के मजबूत रणनीतिकार हैं।

 

झुंझुनूं जिला कांग्रेस
शेखावाटी के झुंझुनूं में भी गुटबाजी चरम पर हैं। यहां दिग्गज जाट नेता रहे शीशराम ओला के पुत्र और विधायक बृजेन्द्र ओला सचिन पायलट के मजबूत सिपहसलार हैं। तो वहीं डॉ जितेन्द्र सिंह ,डॉ राजकुमार शर्मा ,राजेन्द्र गुढ़ा अशोक गहलोत कैंप के हैं।

 

दौसा जिला कांग्रेस
दौसा जिला कांग्रेस पर पायलट परिवार का लंबे समय तक कब्जा रहा है। राजेश पायलट, रमा पायलट और सचिन पायलट यहां से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। विधायक मुरारी लाल मीना ,जी आर खटाना यहां पायलट कैंप के मजबूत सिपहसालार हैं तो वहीं कैबिनेट मंत्री परसादी लाल मीणा, और महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश गहलोत गुट से हैं।

अलवर जिला कांग्रेस
अलवर जिले में गुटबाजी हावी है यहां कई नेताओं के धड़े बंटे हुए हैं। यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री और राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले भंवर जितेंद्र सिंह का अपना गुट है। जिला संगठन में उन्हीं की मर्जी चलती है। हालांकि यहां कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक जुबेर खान का अपना गुट है। जुबेर खान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के भी करीबी है। अलवर में विधायक साफिया जुबेर, दीपचंद खैरिया ,संदीप यादव, शकुंतला रावत को गहलोत कैंप का माना जाता है इसके अलावा पूर्व मंत्री दुर्रू मियां भी गहलोत कैंप के माने जाते हैं।

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