शिफ्ट किए मरीज की एसएमएस में मौत जयपुर हॉस्पिटल में आग के बाद एसएमएस अस्पताल में शिफ्ट किए एक मरीज की मौत हो गई। जयपुर हॉस्पिटल के मुताबिक मरीज मल्टीपल बीमारियों का शिकार था। उसकी कुछ माह पहले एंजियोप्लास्टी हुई थी। निमोनिया, बे्रेन में ब्लीडिंग, हृदय के कमजोर फंक्शन का भी शिकार था। वह हॉस्पिटल के न्यूरोलोजी विभाग में भर्ती था। उसे सांस में तकलीफ भी थी। मरीज को रविवार सुबह वेंटिलेटर लिया था। चिकित्सकीय दृष्टि से वेंटिलेटर पर मरीज का दम घुटना संभव नहीं है। एसएमएस अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा ने बताया कि परिजनों की मांग पर पोस्टमार्टम के निर्देश दिए गए
ऐसे दिखे हालात आदर्शनगर में बच्चों के अस्पताल में कहीं भी फायर एग्जिट नजर नहीं आया। सीढिय़ों के आसपास कहीं ऐसा रास्ता नहीं था, जिससे कोई घटना होने पर आसानी से बाहर निकला जा सके। त्रिमूर्ति के पास शिशु अस्पताल के आसपास रिहायशी इलाका है। लम्बे समय से चल रहे अस्पताल में ऊपरी मंजिल तक कहीं भी फायर एग्जिट नहीं दिखा।
दो मरीज कराए थे भर्ती आग की घटना के बाद गंभीर हालत में २ मरीजों को एसएमएस में भर्ती कराया था। ज्योतिनगर थानाधिकारी ने बताया एसएमएस में दम तोडऩे वाला चिड़ावा-झुंझुनूं निवासी अनिल शर्मा 11 अप्रेल से जयपुर हॉस्पिटल में भर्ती था। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। जयपुर हॉस्पिटल प्रबंधन के अनुसार अनिल को 11 अप्रेल को पेट में आफरे और बुखार की शिकायत के साथ भर्ती कराया गया था।
पहली मंजिल पर लगी थी आग आग अस्पताल की पहली मंजिल पर लगी थी। दूसरी मंजिल पर जयपुर हॉर्ट इंस्टीट्यूट है। आग के बाद हॉर्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती रोगियों को तुरंत निजी अस्पतालों में शिफ्ट किया। इन्हें सोमवार को वापस हॉर्ट इंस्टीट्यूट में शिफ्ट कर दिया।
कर चुके थे आवेदन जयपुर हॉस्पिटल के संचालकों का आधिकारिक रूप से कहना है कि अस्पताल करीब 50 साल पुराना है। पहले 50 फीट से कम वाले भवनों के लिए फायर एनओसी की आवश्यकता नहीं थी। बाद में निगम का नियम आया तो आवेदन कर दिया था और आवश्यकता अनुरूप अग्निशमन उपकरण भी लगा लिए थे। अभी तक निगम का निरीक्षण नहीं हुआ था। अस्पताल में आग के बाद उन्हीं उपकरणों के सहारे आग को कुछ हद तक काबू में किया गया। शर्मा ने कहा कि अस्पताल में ओपीडी व इनडोर का सुचारू संचालन फिर शुरू हो गया है।