scriptकई अस्पतालों में नहीं है फायर एग्जिट हो सकती है बड़ी दुर्घटना | Many hospitals do not have a fire accident can cause major casualties | Patrika News

कई अस्पतालों में नहीं है फायर एग्जिट हो सकती है बड़ी दुर्घटना

locationजयपुरPublished: Apr 17, 2018 11:45:46 am

Submitted by:

Priyanka Yadav

फायर एनओसी है या नहीं, देखने वाला कोई नहीं

fire exit in hospital
जयपुर . नगर निगम आइपीएल मैच में तो सुरक्षा इंतजाम को लेकर सजगता दिखा रहा है, राजधानी में वर्षों से संचालित अस्पतालों में फायर एग्जिट व आग बुझाने के इंतजाम हैं या नहीं, इसे देखने की फुर्सत नहीं है। निजी अस्पताल में रविवार रात आग की घटना के बाद राजस्थान पत्रिका ने सोमवार को कई निजी-सरकारी अस्पतालों में पड़ताल की तो सुरक्षा के प्रति भारी लापरवाही दिखी। कई अस्पताल रिहायशी इलाकों में हैं। पत्रिका टीम ने कुछ अस्पतालों में प्रवेश किया तो भीतर कहीं भी बाहर निकलने का रास्ता नहीं दिखा। कुछ ही में ऐसी सुविधा थी कि टीम मुख्य द्वार से भीतर पहुंची और फायर एग्जिट से बाहर निकल गई।
शिफ्ट किए मरीज की एसएमएस में मौत

जयपुर हॉस्पिटल में आग के बाद एसएमएस अस्पताल में शिफ्ट किए एक मरीज की मौत हो गई। जयपुर हॉस्पिटल के मुताबिक मरीज मल्टीपल बीमारियों का शिकार था। उसकी कुछ माह पहले एंजियोप्लास्टी हुई थी। निमोनिया, बे्रेन में ब्लीडिंग, हृदय के कमजोर फंक्शन का भी शिकार था। वह हॉस्पिटल के न्यूरोलोजी विभाग में भर्ती था। उसे सांस में तकलीफ भी थी। मरीज को रविवार सुबह वेंटिलेटर लिया था। चिकित्सकीय दृष्टि से वेंटिलेटर पर मरीज का दम घुटना संभव नहीं है। एसएमएस अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा ने बताया कि परिजनों की मांग पर पोस्टमार्टम के निर्देश दिए गए

ऐसे दिखे हालात

आदर्शनगर में बच्चों के अस्पताल में कहीं भी फायर एग्जिट नजर नहीं आया। सीढिय़ों के आसपास कहीं ऐसा रास्ता नहीं था, जिससे कोई घटना होने पर आसानी से बाहर निकला जा सके। त्रिमूर्ति के पास शिशु अस्पताल के आसपास रिहायशी इलाका है। लम्बे समय से चल रहे अस्पताल में ऊपरी मंजिल तक कहीं भी फायर एग्जिट नहीं दिखा।
दो मरीज कराए थे भर्ती

आग की घटना के बाद गंभीर हालत में २ मरीजों को एसएमएस में भर्ती कराया था। ज्योतिनगर थानाधिकारी ने बताया एसएमएस में दम तोडऩे वाला चिड़ावा-झुंझुनूं निवासी अनिल शर्मा 11 अप्रेल से जयपुर हॉस्पिटल में भर्ती था। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। जयपुर हॉस्पिटल प्रबंधन के अनुसार अनिल को 11 अप्रेल को पेट में आफरे और बुखार की शिकायत के साथ भर्ती कराया गया था।
पहली मंजिल पर लगी थी आग

आग अस्पताल की पहली मंजिल पर लगी थी। दूसरी मंजिल पर जयपुर हॉर्ट इंस्टीट्यूट है। आग के बाद हॉर्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती रोगियों को तुरंत निजी अस्पतालों में शिफ्ट किया। इन्हें सोमवार को वापस हॉर्ट इंस्टीट्यूट में शिफ्ट कर दिया।
कर चुके थे आवेदन

जयपुर हॉस्पिटल के संचालकों का आधिकारिक रूप से कहना है कि अस्पताल करीब 50 साल पुराना है। पहले 50 फीट से कम वाले भवनों के लिए फायर एनओसी की आवश्यकता नहीं थी। बाद में निगम का नियम आया तो आवेदन कर दिया था और आवश्यकता अनुरूप अग्निशमन उपकरण भी लगा लिए थे। अभी तक निगम का निरीक्षण नहीं हुआ था। अस्पताल में आग के बाद उन्हीं उपकरणों के सहारे आग को कुछ हद तक काबू में किया गया। शर्मा ने कहा कि अस्पताल में ओपीडी व इनडोर का सुचारू संचालन फिर शुरू हो गया है।
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