विभाग का दावा है कि एक साथ कुछ सालों के अंतराल में ही इतने नए अस्पताल खुलने से राजधानी में ही 50 हजार की आबादी पर एक अस्पताल का औसत आ चुका है। पहले यह अनुपात करीब डेढ़ लाख का था। कम आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में तो यह अनुपात करीब 10 हजार के आस पास ही बताया जा रहा है।
फिर भी कम नहीं हुई बडे अस्पतालों की भीड राजस्थान पत्रिका ने इस बडी सुंविधा की पडताल की तो सामने आया कि इन यूपीएचसी से आमजन को घर के नजदीक छोटी बीमारियों के उपचार की सुविधा तो मिली, लेकिन इससे बडे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, जिला अस्पतालों और सेटेलाइट अस्पतालों पर से मरीजों का दबाव आज भी कम नहीं हुआ। अकेले जयपुर शहर में इस दौरान नई खोली गई यूपीएचसी की संख्या 25 से ज्यादा है। इन्हें मिलाकर राजधानी जयपुर में निचले स्तर के अस्पतालो की संख्या 50 से बढ़कर करीब 80 हो गई है। राजधानी में जल्द ही गुर्जर की थडी और भीलवाड़ा में एक शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और खोले जाने की संभावना है।
60 हजार से ज्यादा मरीज
नए खोले गए 137 अस्पतालों मे करीब 35 हजार मरीज रोजाना औसतन आ रहे हैं। अभी इनमे कुछ अस्पताल ऐसे हैं, जहां प्रतिदिन 500 का ओपीडी हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जहां यह संख्या 50 के आस पास ही है। इनका औसत प्रतिदिन करीब 200 से 250 माना गया है। इनके अलावा अपग्रेड किए गए 105 अस्पतालों के मरीजों की संख्या भी जोडने पर इन 242 अस्पतालों में रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या रोजाना करीब 60 हजार है। वहीं अकेले एसएमएस अस्पताल सहित सात अन्य अस्पतालों में रोजाना करीब 15 हजार मरीज आ रहे हैं
सुविधाएं बढऩे पर बनेंगे बडे अस्पतालों का विकल्प मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर प्रथम डॉ नरोत्तम शर्मा के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश में ये अस्पताल खोले गए हैं। जहां मातृ और शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों सहित अन्य विशेष उपचार सुविधाएं विकसित की गई है। उन्होंने कहा कि पहले जहां एक बडे क्षेत्र पर एक अस्पताल होता था, वहीं अब वहां आस पास ही तीन चार अस्पताल उपलब्ध हैं।