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युवा कांग्रेस चुनाव ने कराई कांग्रेस की फजीहत, चुनाव हैक कराने वाले नेताओं की तलाश

locationजयपुरPublished: Apr 08, 2020 10:57:35 am

Submitted by:

firoz shaifi

चुनाव प्रक्रिया की संदेह के घेरे में ,युवा कांग्रेस के कई केंद्रीय नेताओं पर गिरेगी गाज, होगी छुट्टी ,एक माह में ही दो बार बदले युवा कांग्रेस के अध्यक्ष ,एक-दो दिन में कई नेताओं पर हो सकती है बड़ी कार्रवाई

youth congress

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जयपुर। युवा कांग्रेस के ऑनलाइन चुनाव को हैकर्स द्वारा हैक किए जाने और चुनाव परिणाम में एक बार फिर से हुए बदलाव ने पार्टी की जमकर फजीहत कराई है। चुनाव प्रक्रिया हैक किए जाने और हैकर्स के खिलाफ दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद अब पूरी चुनाव प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में आ गई है।

पार्टी के आला नेता अब इस बात का पता लगा रहे हैं कि चुनाव लड़े किन-किन नेताओं ने हैकर्स का इस्तेमाल किया था। सूत्रों की माने तो कांग्रेस के आला नेता फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद युवा कांग्रेस के चुनाव प्राधिकरण से बेहद नाराज हैं। बताया जाता है कि युवा कांग्रेस के कई केंद्रीय नेताओं पर गाज गिर सकती है तो कई नेताओं की छुट्टी हो सकती है।


एक माह में दो बार बदले अध्यक्ष
दरअसल युवा कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारिणी, जिलाध्यक्षों और विधानसभा क्षेत्र अध्यक्षों के चुनाव परिणाम 3 मार्च को जारी हुए थे। उस समय सबसे ज्यादा वोट सुमित भगासरा को मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर मुकेश भाकर थे।

उसके बाद भगासरा को अध्यक्ष घोषित किया गया था,जिसके बाद चुनाव लड़े कई प्रत्याशियों ने अपने समर्थकों के साथ दिल्ली में जमकर हंगामा और प्रदर्शन करते हुए फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था।

उसके बाद युवा कांग्रेस के चुनाव प्राधिकरण ने चुनाव परिणाम पर रोक लगाते हुए जांच कमेटी गठित कर दी थी और अब एक माह के बाद चुनाव परिणाम जारी हुआ तो पूरा चुनाव परिणाम ही बदल गया। मंगलवार को घोषित किए गए नतीजों में मुकेश भाकर को अध्यक्ष घोषित किया गया उन्हें 34,995 वोट मिले, दूसरे नंबर पर अमर दिन फकीर हैं, जिन्हें 25,073 वोट आए।

उन्हें यूथ कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं पूर्व में अध्यक्ष घोषित किए गए सुमित भगासरा को 23,464 मत मिले। ऐसे में साफ है कि युवा कांग्रेस चुनाव में बड़े स्तर पर हैकर्स के जरिए फर्जीवाड़ा किया गया था।

 

चुनाव प्राधिकरण की भूमिकासंदिग्ध
वहीं युवा कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण की भूमिका भी इस चुनाव में पूरी तरह संदिग्ध रही है, प्राधिकरण चुनाव में निष्पक्षता और पारदर्शिता के बड़े-बड़े दावे करता आया था,यहां तक बड़े नेताओं को भी ये विश्वास दिलाया गया था कि ऑनलाइन चुनाव पूरी पारदर्शिता से होगा, जबकि पार्टी के बड़े नेता बैलेट पेपर से चुनाव कराने के पक्ष में थे।

चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों ने भी ऑनलाइन की बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की गुहार की थी, जिसे चुनाव प्राधिकरण ने अनसुना कर हठधर्मिता अपनाई और अपने-साथ-साथ कांग्रेस पार्टी की भी फजीहत कराई।

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