मारिया ने मीमांसा विषय से स्नातकोत्तर किया है। मारिया हिंदी, इंग्लिश, जर्मन, स्पेनिश के अलावा संस्कृत भी अच्छी तरह से बोलना जानती हैं। उन्होंने सोशल वर्क की पढ़ाई भी की है। उन्होंने गुरुकुल ट्रस्ट में रहकर पहले संस्कृत की जानकारी ली फिर विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने बताया कि काशी आकर मैंने संस्कृत की विशेषता को जाना है। अब मारिया शिक्षक बनकर इस भाषा का अपने देश में प्रचार प्रसार करने की इच्छा रखती हैं। वे अब संस्कृत में पीएचडी करेंगी।
कठिन नहीं लगा ‘मीमांसा’ विषय मारिया कहती हैं कि उन्हें मीमांसा कठिन विषय नहीं लगा। जबकि, यह काफी कठिन माना जाता रहा है। मारिया 12 साल से भारत आ रही हैं। पहले वह ऋषिकेश आईं फिर बनारस। यहीं से उन्हें इस भाषा को सीखने की रूचि पैदा हुई। शुरुआत में यह भाषा समझने में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।