बेटी के जन्मदिन पर खुद का जन्मदिन मनाते थे 'माट साब', अब दोनों ही हुए दुनिया से रुखसत
Master Bhawar Lal Meghwal Passes Away In Jaipur: ये संयोग था कि पिता-पुत्री का जन्मदिवस एक ही दिन 19 नवम्बर को आता था। पिता-पुत्री हर साल अपना जन्मदिवस साथ मिलकर मनाते थे। प्रियजनों के बीच केक काटकर खुशियाँ मनाई जाती थीं।

जयपुर।
गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने अपनी पुत्री बनारसी देवी के निधन के महज़ 17 दिन के बाद ही देह त्याग दिया। दोनों पिता-पुत्री अपने जन्मदिवस से पहले ही हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से रुखसत हो गए। दरअसल, ये संयोग था कि पिता-पुत्री का जन्मदिवस एक ही दिन 19 नवम्बर को आता था।
घर पर करते थे सेलिब्रेट
पिता-पुत्री हर साल अपना जन्मदिवस साथ मिलकर मनाते थे। प्रियजनों के बीच केक काटकर खुशियाँ मनाई जाती थीं। जानकार बताते हैं कि राजनीतिक व्यस्तता के बीच हर बार दोनों पिता-पुत्री जन्मदिवस पर साथ रहते और खुशियों के साथ इस ख़ास दिन को मनाते। बनारसी के लिए उनके पिता प्रेरणास्रोत थे।

मेघवाल परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
पहले बनारसी मेघवाल और कुछ दिन बाद ही मास्टर भंवर लाल मेघवाल का दुनिया से रुखसत होना मेघवाल परिवार के लिए दुखों का पहाड़ टूटने जैसा है। परिवार में किसी ने सोचा भी नहीं था कि उन्हें एक के बाद एक अपूर्णीय क्षति सहन करनी होगी।
पिता के नक़्शे कदम पर चलीं
मास्टर भंवर लाल मेघवाल की पुत्री पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में आईं। चुरू की जिला प्रमुख बनने से पहले वे राजनीति में काफी लम्बे समय तक सक्रीय रहीं। पिता-पुत्री की जोड़ी कई राजनीतिक कार्यक्रमों में साथ नज़र आती थी।
पुत्री को राजनीति में आगे बढ़ाने में पिता मास्टर भंवरलाल का मार्गदर्शन रहा। बनारसी सबसे कम उम्र की जिला प्रमुख बनने वाले नेताओं में से एक रहीं। वे वर्ष 1995 से 2000 तक चूरू जिला प्रमुख रहीं। बनारसी मेघवाल को पिता का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जा रहा था।
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