बकौल आर्यन, बचपन से ही टेक्नोलॉजी मुझे फेसिनेटिंग लगती थी। चीजों को खोलना और उनके फंक्शन देखना अच्छा लगता था। लिहाजा 12 साल की उम्र में मैंने प्रोग्रामिंग शुरू कर दी। 13 साल की उम्र में तीन हजार रुपए में ‘कम्प्यूटबॉक्स’ बना दिया। यह एक एेसा कम्प्यूटर है, जिसे अनपढ़ भी आसानी से सीख सकता है। इसमें मैंने खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम डाला है। साथ ही ईजी और बहुत कम टेक्स्ट इन्क्लूड किए हैं। इससे इस कम्प्यूटर की भाषा आसान हो जाती है। वहीं कम्यूनिटी सर्विस के लिए ईजीटेक को दुनिया के 10 देशों में 57 वॉलेंटियर्स के जरिए पहुंचाया जा चुका है। इसमें लोगों को डिजिटल नॉलेज प्रोवाइड की जाती है।
आर्यन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट कर ‘रियल लाइफ सर्च इंजन’ पर काम रहे हैं। आर्यन का कहना है कि यह टेक्नोलॉजी फ्यूचर बदल देगी। इस सर्च इंजन के जरिए सभी तरह के ऑब्जेक्ट्स का क्लासिफिकेशन और आम आदमी के एक्सप्रेशंस को ऑब्जर्व किया जा सकेगा। इसका फायदा क्राइम को रोकने के साथ ही कई महत्वपूर्ण कामों में होगा। इसके लिए कम्प्यूटर चिप बनाने पर भी काम किया जा रहा है। आर्यन ने आर्मी के लिए भी डायनैमिक कैमोफ्लाज भी तैयार किया है। इससे लाइव लैंडस्केप के बेसिस पर उसी रंग के कैमोफ्लाज तैयार किए जा सकेंगे। इससे सैनिकों को काफी फायदा होगा।
आर्यन अभी तक तीन पेटेंट फाइल कर चुके हैं। 20 से ज्यादा फिनिश प्रोजेक्ट्स बना चुके हैं। तीन कंपनियों के साथ उनका अनुबंध हो चुका है। उन्होंने हाल ही एमआइटी, कैम्ब्रिज के लिए पोर्टफोलियो और इंटरव्यू दिया था। इसके बाद उन्हें एक महीने के टेक्नोलॉजी कोर्स के लिए सलेक्ट कर लिया है।