विधायक लोढ़ा ने सदन के सदस्यों के लिए कहा कि अगर हम 30 सेकंड के लिए आंख बंद कर लें और कल्पना करें कि हम दलित आदिवासी परिवार का हिस्सा हैं तो हम उनकी पीड़ा समझ पाएंगे। आज 70 साल के बाद ही दलित आदिवासी परिवार की हालत क्या है। आज भी दलित आदिवासी समुदाय के व्यक्ति को सामान्य जगह बैठने का अवसर मिल रहा है।
निजीकरण को लेकर जताया विरोध
विधायक लोढ़ा ने कहा कि देश के पीएम कहते हैं कि सरकारों का काम व्यवसाय करना नहीं है लेकिन तीन कृषि कानून लाए हैं जो कि अंबेडकर के विचारों को नष्ट करने वाले कानून हैं। अंबेडकर और नेहरू की जोड़ी ने सार्वजनिक क्षेत्र खड़ा किया ताकि लोगों का उत्थान हो। लेकिन सार्वजनिक तंत्र को निजीकरण किया जा रहा है, अगर ऐसा होता रहा एससी एसटी समुदाय के लोगों की नौकरियां का क्या होगा। लोढ़ा ने जनजाति वर्ग के भले के लिए राज्य में महाराष्ट्र पैटर्न लागू करने की बात भी रखी।