पूर्वी राजस्थान में ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। कई जगह मावठ बरसी है तो वहीं कई जगह खेतों में बरसे ओलों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। पूर्वी राजस्थान के भरतपुर, अलवर, करौली, दौसा आदि जिलों में बारिश और ओले गिरे हैं। अलवर जिले के बड़ौदामेव, खैरथल, अलवर शहर, राठ क्षेत्र में बारिश हुई। वहीं मीणावाटी के पिनान, रैणी आदि जगह ओलावृष्टि हुई है। दुर्गापुरा स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ सुरेन्द्र सिंह मनोहर का कहना है कि रबी सीजन की बारिश जिसे मावठ कहा जाता है, यह बारानी फसलों के लिए काफी फायदेमंद होती है। गेहूं, जौ, चना, सरसों, अलसी, तारामीरा के लिए फायदेमंद होती है। इसके पीछे वजह है कि मावठ फसल में सिंचाई हो जाती है। इससे पानी, बिजली और श्रम की बचत होती है।
उत्पादन बढ़ने की उम्मीद
मावठ से गेहूं का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद बढ़ जाती है। रबी सीजन में हल्की बारिश होती है तो किसान खुश हो जाते हैं। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि यह बारिश संभवतया उस समय होती है जब रबी फसलों को सिंचाई की जरूरत होती है। कृषि विशेषज्ञों को कहना है कि बरसात से खेतों में खड़ी गेहूं, जौ व चने की फसल को फायदा होता है, लेकिन अगर बारिश के साथ ओले गिरते हैं तो खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचता है। राज्य में कई स्थानों पर हुई ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान पहुंचा है। मावठ से जीरे की फसल में झुलसा रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
लागत में आती है कमी
मावठ में बारिश सभी इलाकों में समान होती हैं। जिससे किसानों को सिंचाई खर्च बचाने में भी मदद मिलती है। वहीं इससे तापमान में कमी आती है। ऐसा होने से पाला पड़ने की संभावना कम हो जाती है। इससे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचता है। मावठ सरसों की फसल के लिए भी अच्छी होती है। बरसात से फसलों के उत्पादन में फायदा होता है। क्योंकि बरसात के पानी के साथ नाइट्रोजन भी आता है। इससे किसानों को यूरिया खाद की आवश्यकता कम पड़ती है। वहीं सिंचाई से मुक्ति मिलती है। हालांकि जरूरत से ज्यादा बारिश होने पर यह नुकसानदायक होती है।