इसी कवायद में बसपा प्रदेश नेतृत्व ने अब नए सिरे से बूथ कमेटियों के गठन करने का काम शुरू कर दिया है। सभी प्रदेश पदाधिकारियों को बूथ इकाइयों पर जाकर अगले एक महीने के भीतर बूथ समितियों के गठन के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में पदाधिकारी अब प्रदेश नेतृत्व द्वारा निर्देशित क्षेत्रों में कैम्प करके वहां की बूथ समितियों का गठन करेंगे।
नए सिरे से शुरू हुई कवायद
बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने ‘पत्रिका’ से बातचीत में बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से पार्टी की कई बूथ समितियां निष्क्रिय हो थीं, जिन्हें अब नए सिरे से बनाने पर फोकस किया जा रहा है। इन बूथ समितियों का गठन कर इनमें अध्यक्ष और सचिव पद पर तैनाती दी जायेगी।
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पहले 60 सीटों पर बनेगी समितियां
प्रदेशाध्यक्ष भगवान् सिंह बाबा ने बताया कि बिना बूथ समितियों के विधानसभा सीट जीतना मुश्किल है। यही वजह है कि फिलहाल प्रदेश भर की चुनिंदा 60 विधानसभा सीटों पर बूथ समितियों का प्राथमिकता से गठन किये जाने पर फोकस है। प्रदेश और जिला पदाधिकारियों को विधानसभाएं बांटकर बूथ समितियां बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
पार्टी का मानना है कि बूथ समितियों के गठन और उनकी मजबूती से सक्रियता से ही विधानसभा सीट जीती जा सकती है। कोशिश है कि अगले एक महीने तक ज़्यादा से ज़्यादा बूथ समितियों का गठन कर लिया जाएगा।
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जिलेवार बैठकों का सिलसिला जारी
‘मिशन राजस्थान’ में बसपा एक्टिव मोड पर नज़र आ रही है। जिलेवार बैठकों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ बनाने के लिए ‘बसपा चली गांव की ओर’ जैसे अभियान भी जारी हैं।
नई रणनीति के साथ मैदान में बसपा
बसपा बसपा ने वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में विधायकों के दल-बदल कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद विधानसभा में पार्टी सदस्यों की संख्या शून्य हो गई। पार्टी ने इसके लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ी, लेकिन असफल रही। ऐसे में बसपा एक बार फिर नई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है।