स्वायत्त शासन विभाग ने बिना पार्षद का चुनाव लड़ने वाले और पार्षद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को महापौर और निकाय प्रमुख बनाने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद भाजपा तो हमलावर हो ही गई, मगर कांग्रेस के भी कुछ नेताओं ने इस निर्णय का विरोध किया। यहां तक उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इस फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि इससे बैकडोर एंट्री को बढ़ावा मिलेगा। यही नहीं पायलट ने यह भी कहा कि यह निर्णय विभाग के स्तर पर किया गया है। संगठन, कैबिनेट और विधायकों से इस संबंध में कोई चर्चा नहीं की गई।
निकाय प्रमुखों की सरकार ने लॉटरी निकाल दी है। जयपुर में दोनों महापौर ओबीसी महिला बनेंगी। मगर अभी तक दोनों ही पार्टियों के पास ओबीसी महिला नेताओं का फिलहाल टोटा सा नजर आ रहा है। ऐसे में पैराशूटी महापौर बनाने का फैसला दोनों ही पार्टियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि कांग्रेस के बीच इस फैसले को लेकर चल रहे बवाल को कैसे शांत किया जाता है।