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मी टू : अकबर ने मेरा बलात्कार किया

locationजयपुरPublished: Nov 03, 2018 01:09:32 am

मैं असहाय थी क्योंकि वह बहुत ताकतवर थे, महीनों तक करते रहे शोषण, मुझे समझते रहे अपनी जागीर

जयपुर. मी टू कैम्पेन में यौन शोषण के आरोपों के बाद इस्तीफा दे चुके पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद एमजे अकबर पर दाग और गहरा रहे हैं। अकबर के खिलाफ पीडि़त महिलाओं-युवतियों ने आवाज बुलन्द की तो अब एक अमरीकी पत्रकार ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया है। उक्त पत्रकार का कहना है कि अकबर ने जयपुर में एक होटल में उससे बलात्कार किया। फिर वह उसे अपनी जागीर समझने लगे। हालांकि अकबर की ओर से इन आरोपों को खारिज किया गया है। अकबर के वकील संदीप कपूर ने कहा कि आरोप गलत हैं। यहां पढि़ए उक्त महिला पत्रकार के लेख के प्रमुख अंश, जो वॉशिंगटन पोस्ट के ओपिनियन कॉलम में प्रकाशित हुआ है।
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एमजे अकबर अंग्रेजी अखबर द एशियन एज के एडिटर इन चीफ होने के साथ बेहतरीन और तेज-तर्रार पत्रकार थे। उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल मेरे लिए गलत ढंग से किया। मेरी जिंदगी की सबसे दर्दनाक कहानी है जिसे आज दुनिया के सामने रख रही हूं, जिसे मैने 23 साल पहले सहा था। कुछ दिन पहले मैं अमरीका स्थित अपने घर में थी तो खबरों में देखा कि कुछ पत्रकार अकबर द्वारा किए गए यौन शोषण के बारे में खुलासा कर रही हैं। इसे देख मेरा सिर चकरा गया। मैने भारत में रहने वाली 2 दोस्तों को फोन किया। मेरी इन दोनों दोस्तों को अच्छे से पता था कि अकबर ने मेरे साथ क्या किया था और मैने उस पीड़ा को कैसे सहा था। बाद में जिससे मेरी शादी होने वाली थी, उससे मुलाकात के कुछ सप्ताह बाद उन्हें भी मैंने यह वाकया बताया और फूट-फूटकर रोयी थी।
मैं जब एशियन एज अखबार में काम कर रही थी, मेरी उम्र 22 साल थी। वहां महिलाओं की संख्या अधिक थी। अधिकतर लोगों ने कॉलेज खत्म होते ही अखबार जॉइन किया था। यह वह दौर था जब पत्रकारिता और खबरों के बारे में ज्यादा लोगों को समझ नहीं थी। दिल्ली में अकबर के साथ काम करना गर्व का विषय माना जाता था क्योंकि तेज-तर्रार पत्रकार होने के साथ उन्हें राजनीति पर दो किताबें लिखने का भी अनुभव था। उन्होंने कम समय में ही भारत में संडे मैगजीन, द टेलीग्राफ जैसे अखबारों की सफल लॉन्चिंग की। अन्तरराष्ट्र स्तर के अखबार द एशियन एज उनका आखिरी अखबार था, जिसमें उन्होंने काम किया।
अकबर तब 40 साल के थे और पत्रकारिता में नए लोगों को तराशने का काम करते थे। ऐसा कोई दिन नहीं जाता था जब ऊंची आवाज में चिल्लाते नहीं थे। हम बहुत मुश्किल से उनकी उम्मीदों पर खरा उतर पाते थे। काश मैं वो सब लिख पाती कि वह कैसे अपशब्दों का इस्तेमाल करते थे। फिर भी यही सोचती थी कि अच्छे व्यक्ति से कुछ सीख रही हूं और सब सहती चली गई। मुझे 23 साल की उम्र में एशियन एज अखबार के संपादकीय के साथ आने वाले ओप-एड पेज का संपादक बना दिया गया। इसके बाद मुझे देश के जाने-माने टिप्पीणीकारों, लेखकों और राजनेताओं के साथ संपर्क साधकर काम करने का मौका मिला।
कम उम्र में कामयाबी की कीमत मुझे बहुत जल्दी चुकानी पड़ी। मेरी एक दोस्त यह सब पता है। यह बात 1994 की है जब मैं अकबर के दफ्तर, जिसका दरवाजा अक्सर बंद रहता था, में ओप-एड पेज दिखाने गई। उसे मैने अच्छे से तैयार किया था और बेहतर हैडिंग लगाई थी। उन्होंने मेरी तारीफ की और चूमने के लिए मेरी तरफ बढ़े। मैं हैरान रह गई। जल्दबाजी में ऑफिस से बदहवास सी बाहर निकली। खुद को अपमानित महसूस कर रही थी, पूरी तरह टूट चुकी थी। मेरी दोस्त को याद है कि उस दिन कैसे मेरा चेहरा लाल हो गया था क्योंकि मैने उसी से घटना साझा की थी।
अकबर ने कुछ महीने बाद फिर घिनौनी हरकत की। तब मुझे एक मैग्जीन की लॉन्चिंग के लिए मुंबई बुलाया गया। उन्होंने मुझे ताज होटल के कमरे में मैग्जीन के ले-आउट के साथ बुलाया। वहां भी मुझे चूमने की कोशिश की। इस बार मैंने उन्हें धक्का दे दिया। मैं भागने लगी तो उन्होंने मेरा चेहरा नोंच दिया। मैं रोते हुए भाग निकली। मुंबई से दिल्ली लौटी तो अकबर ने धमकाया कि दोबारा विरोध किया तो नौकरी से निकाल देंगे। लेकिन मैंने नौकरी नहीं छोड़ी।
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जयपुर में हुई घटना ने मुझे बर्बाद कर दिया
मुंबई की घटना के बाद एक खबर करने दिल्ली से दूर एक गांव गई थी। वहां एक प्रेमी जोड़े को फांसी पर लटका दिया गया था क्योंकि वे अलग-अलग जाति-धर्म के थे। खबर जयपुर में जाकर पूरी हुई। वापस आई तो अकबर ने मुझे कहा कि जयपुर के होटल में आओ, खबर पर कुछ चर्चा करनी है। होटल के कमरे में मैं खूब लड़ी लेकिन वह मुझसे बहुत मजबूत थे इसलिए मैं उनके सामने थक गई। उन्होंने मेरा बलात्कार किया। शर्म के मारे मैंने न पुलिस को कुछ बताया, न किसी को और को। मुझे लगता था, कोई मेरी बात पर विश्वास नहीं करेगा। मैंने खुद को दोषी माना और खुद से कहा कि मैं होटल के कमरे में गई ही क्यों थी। इसके बाद अकबर का दुव्र्यवहार मेरे साथ बढ़ता गया। असहाय होकर मैंने उनसे लडऩा छोड़ दिया। कई महीने तक उन्होंने भावनात्मक, मौखिक और यौन रूप से मेरा शोषण किया। मुझे किसी हमउम्र साथी के साथ बात करते देखते तो भी बहुत गुस्सा करते थे। यह मेरे लिए काफी डरावना था। मैं उनके इस बर्ताव पर लड़ क्यों नहीं सकी? क्यों वह मुझ पर इतने हावी हो गए कि मैं विरोध भी नहीं कर सकी। मैं मरणासन्न स्थिति में कैसे चली गई? क्या मुझसे ताकतवर थे इसलिए? क्या मुझे स्थिति से निपटने का तरीका नहीं पता था इसलिए? क्या मुझे नौकरी खोने का डर था? मैं अपने अभिभावकों को कैसे बताती, जो मुझसे काफी दूर थे। मुझे बस यही पता था कि मुझे खुद से नफरत हो गई थी। मैं घुट-घुटकर मर रही थी। मैं दफ्तर से बाहर रहने के लिए रिपोर्टिंग से जुड़े कार्यक्रम की तलाश में रहती थी। ताकि अकबर से दूर रह सकूं।
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लंदन ऑफिस में जब अकबर ने मुझे मारा
जब 1994 के चुनावों को कवर करने का मौका मिला, मैंने चुनाव परिणाम का सटीक विश्लेषण किया था। खुश होकर अकबर ने मुझे अमरीका या ब्रिटेन भेजने के लिए कहा था। मुझे दोनों देशों से वर्क वीजा मिल गया। मैं इसे लेकर रोमांचित थी। आश्वस्त हो गई कि अब दिल्ली ऑफिस से बाहर निकलने के बाद शारीरिक-मानसिक शोषण बंद हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अकबर एक बार लंदन ऑफिस आए तब मैं अपने एक पुरुष दोस्त के साथ थी। वहां उन्होंने अच्छे से बात की। शाम को मेरा दोस्त दफ्तर से चला गया तो अकबर ने मुझे मारा। टेबल पर रखा सामान फेंकने लगे। कैंची, पेपरवेट सहित जो भी हाथ में आया, फेंक दिया। मैं दफ्तर से भाग गई, हाइड पार्क में घंटेभर तक छुपी रही। अगले दिन अपनी दोस्त को आपबीती बताई। मां-बहन से भी बात की लेकिन उन्हें नहीं बताना चाहती थी कि मैं किसी परेशानी में हूं। मुझे अहसास हो गया था कि अब मुझे लंदन छोडऩा होगा। अपनी एक अन्य दोस्त को भी मैंने सबकुछ बताया और कहा कि इस कष्ट से दूर भागना चाहती हूं। मेरे पास अमरीका के लिए विदेश संवाददाता का वीजा था। इसके बाद मुझे न्यूयॉर्क के प्रकाशन डॉजोन्स में रिपोर्टिंग असिस्टेंट की नौकरी मिल गई।
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मुझे लगता था, अकबर कानून और न्याय से ऊपर हैं
फिर कई वर्षों के बाद भी अकबर से कोई बात नहीं हुई। मुझे हमेशा लगता रहा कि अकबर कानून और न्याय से ऊपर हैं। मुझे लगता था कि उन्हें उसकी कीमत कभी नहीं चुकानी पड़ेगी, जो उन्होंने मेरे साथ किया। लेकिन आज मुझे अच्छे से पता है कि नौकरी पाने और सफल होने के लिए किसी को अपमानित करने और किसी पर हमला करने की जरूरत नहीं है। अकबर ने ऐसी कई महिलाओं को धमकाया होगा। उम्मीद है, वे भी अकबर के खिलाफ आगे आएंगी और घिनौने सच दुनिया के सामने होंगे। मैं यह इसलिए लिख रही हूं क्योंकि मुझे बेहतर ढंग से पता है कि अकबर जैसे शक्तिशाली लोग कैसे किसी का शोषण करते हैं। मैं उन महिलाओं के आरोपों को सही साबित करने के लिए लिख रही हूं, जो मेरे जैसी ही पीड़ा से गुजरी हैं। इसलिए लिख रही हंू ताकि लोग सीख सकें कि उन्हें कोई परेशान करे तो अपना बचाव कैसे करना है। मैं 23 साल पहले हुई घटना के काले सच से बाहर निकल चुकी हंू, निरंतर आगे बढऩा चाहती हूं।

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